महाराष्ट्रमें डॉक्टरो को सर्जिकल मास्क सेनिटाइज़र्स की कमी का सामना करनापड़ रहाहै


कोरोना वायरस: महाराष्ट्र में किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं डॉक्टर डॉ. यश सबरवाल मुंबई के सायन अस्पताल में रेजीडेंट डॉक्टर हैं. लेकिन, उन्हें मुंबई के कस्तूरबा गांधी अस्पताल फ़ॉर इन्फेक्शियस डिजीज़ेज़ में कोरोना वायरस के शिकार हुए मरीजों का इलाज करने के लिए तैयार की पहली स्पेशल टीम में शामिल कर दिया गया था. इस अस्पताल में वह 13 मार्च से 21 मार्च तक तैनात थे. कोरोना वार्ड में आठ घंटे की रोजाना शिफ्ट के बाद उन्हें कुछ दिनों के लिए होम-क्वारंटीन होना पड़ा. इसके बाद उनका टेस्ट हुआ और उसमें नेगेटिव पाए जाने के बाद उन्हें फिर से मरीजों को देखने की इजाज़त दे दी गई.


डॉक्टरों के लिए सुविधाओं की कमी डॉक्टर श्वेता एक सरकारी हॉस्पिटल में काम करती हैं. उन्होंने डॉक्टरों के सामने आ रही चुनौतियों का जिक्र ट्विटर पर किया है. उन्होंने पाया कि डॉक्टरों को सर्जिकल मास्क, सैनिटाइजर्स की कमी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि एन-95 मास्क उपलब्ध नहीं हैं. डॉक्टर श्वेता ने लिखा है, "अब चूंकि हम इस महामारी के स्टेज 3 में दाखिल हो रहे हैं, प्रशासन को इसके लिए पूरी तरह से तैयार हो जाना चाहिए. लेकिन, अगर सैनिकों के पास जंग के लिए ढाल ही नहीं होगी तो हम ये लड़ाई कैसे जीतेंगे? कोरोना के खिलाफ़ जंग में हमारी ढाल पीपीई किट है. लेकिन, अगर यह उपलब्ध नहीं है तो हमें कम से कम N-95 मास्क और सैनिटाइजर्स तो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध करा दिए जाने चाहिए." डॉक्टर सबरवाल बताते हैं, "अगर किसी शख्स को पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके परिवार के भी टेस्ट होते हैं. विदेश से आने वालों और स्थानीय लोगों के संपर्क में रहने की वजह से मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है." उन्होंने कहा, "हम सर्दी, जुकाम, बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हर शख्स का टेस्ट नहीं कर रहे हैं. हम केवल ऐसे लोगों को जांच रहे हैं जो विदेश से लौटे हैं या जिनका किसी विदेश से आए शख्स के साथ संपर्क रहा है. ऐसे में हमें संक्रमित लोगों की सही संख्या का पता नहीं है."


हज़मट सूट मास्क या रेस्पिरेटरहज़मट सूट मास्क या रेस्पिरेटर


मुंबई के एक सरकारी अस्पताल के डॉ. अग्रवाल कहते हैं, "ओपीडी में आने से पहले कफ और कोल्ड के मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है. ऐसे मरीजों का तापमान लिया जा रहा है, उनकी ट्रैवल हिस्ट्री जानी जा रही है और उसके बाद ही उन्हें अंदर आने दिया जा रहा है." उन्होंने कहा, "हमें निर्देश मिले हैं कि डॉक्टरों को घर आने के बाद क्या करना चाहिए. मैं मुंबई में परिवार सहित रहता हूं. मैं घर में किसी के भी संपर्क में आने से पहले गर्म पानी से नहाता हं. मेरे कपड़े भी गर्म पानी में धोए जाते हैं."


क्या सरकारी मशीनरी तैयार है? मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. तात्याराव लाहाने ने बीबीसी मराठी को बताया, "डॉक्टरों की स्वास्थ्य सुविधाओं को तरजीह दी जा रही है. कोविड-19 के सीधे संपर्क में आने वाले डॉक्टरों को एन-95 मास्क, चेस्ट कवर और हज़मत सूट दिए जा रहे हैं. ओपीडी में काम करने वाले डॉक्टरों को भी ये इक्विपमेंट दिए जा रहे हैं."


प्राइवेट हॉस्पिटलों में कैसे हैं हालात? डॉ. नितिन राठौर नागपुर के एक निजी हॉस्पिटल में काम करते हैं. राठौर ने निजी अस्पतालों में तैयारियों के बारे में बताया, "इस वक्त हर जगह मास्क की कमी है. सैनिटाइजर्स की भी कमी है. डॉक्टरों के लिए ज़रूरी किट केवल सरकारी अस्पतालों में है. अगर हमारे यहां कोई कोरोना का संदिग्ध मरीज़ आता है तो हम उसे सरकारी अस्पताल भेज देते हैं. लेकिन, अगर भविष्य में मरीजों की संख्या बढ़ती है तो हालात नाजुक हो जाएंगे." वह कहते हैं कि "अगर मरीजों की संख्या बढ़ती है तो मुझे नहीं लगता कि निजी हॉस्पिटल इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं. हमें कहा गया है कि अगर सरकारी हॉस्पिटलों में आइसोलेशन वॉर्ड कम पड़ते हैं तो हम अपने यहां इनकी तैयारी रखें."


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