'यह कॉन्ट्रैक्ट कहता है कि जो पार्टी (पक्ष) दूसरे पक्ष के साथ आपसी सहमति के बगैर इस एग्रीमेंट को कैंसिल या पोस्टपोन करेगी, वह कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ने का आरोप झेलेगी
कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए हालात के चलते जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2020 टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिए टालने को तैयार हो गए हैं. आबे ने कहा है कि इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बाक से चर्चा के बाद इसे लेकर सहमति बन गई है.
टालने में देर क्यों पूरी दुनिया की कई नेशनल ओलंपिक कमेटियां (एनओसी) पहले ही इस आयोजन को टालने का अनुरोध कर चुकी थीं. कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने तो कहा था कि अगर ओलंपिक को इस साल कराया जाता है तो वे अपने एथलीटों को इसमें नहीं भेजेंगे. इस बारे में उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना था कि आईओसी और टोक्यो 2020 के ऑर्गनाइज़र्स चाह रहे थे कि गेम को टालने की पहल उनकी ओर से न हो. ऐसा इसलिए, क्योंकि ओलंपिक को टालने का फैसला लेने के कमर्शियल और कानूनी दुष्परिणाम होंगे और कोई भी इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेना चाहता था. टोक्यो ओलंपिक को टालना एक अभूतपूर्व और बड़ा क़दम है. आज तक कोई भी ओलंपिक रीशेड्यूल नहीं किया गया. युद्ध के दौरान केवल इन गेम्स को कैंसि किया गया है. आईओसी और टोक्यो 2020 ऑर्गनाइजर्स दोनों का कहना था कि 10.8 अरब पौंड या 12.6 अरब डॉलर या 1.35 लाख करोड़ येन के बजट वाले इन गेम्स को टाले जाने के साथ बहुत बड़ी चुनौतियां जुड़ी हुई हैं.
व्यावहारिक दिक्कत हर खेल का अपना एक कैलेंडर होता है. साथ ही कोरोना वायरस की महामारी कब खत्म होगी इसको लेकर भी चीजें अभी साफ नहीं हैं. कोरोना के कारण अन्य कई बड़े स्पोर्ट्स इवेंट टालने या रद्द करने पड़े हैं. अब टोक्यो गेम्स टलने के कारण कई अरब पाउंड के करार और दूसरी आर्थिक गतिविधियां लटक जाएंगी. इससे यह समझना मुश्किल नहीं है कि क्यों इस आयोजन से जुड़े लोगों के लिए इसे टालने का फैसला लेना मुश्किल हो रहा था. हर पार्टी फैसला लेने के लिए दूसरे का इंतजार कर रही थी. साथ ही वे इस बात के भी प्रयास कर रहे थे कि किस तरह से सेफ्टी के साथ और कम से कम वित्तीय नुकसान के साथ इससे निबटा जा सकता है. मगर आखिर में जापान के प्रधानमंत्री ने कह दिया कि उनकी आईओसी के अध्यक्ष से मंगलवार को हुई चर्चाओं के बाद मिलकर खेलों को एक साल के लिए टालने पर सहमति बनाई है.