तू नाराज तो है अपने इंसान*  *से भगवान ..*  *नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद*  *ना करता ..* - संतोष साहू भोपाल

*तू नाराज तो है अपने इंसान* 
*से भगवान ..* 


*नहीं तो मंदिरों के दरवाजे बंद* 
*ना करता ..*


*सज़ा दे रहा है कुदरत से* 
*खिलवाड़ की ..* 


*नहीं तो गुरुद्वारों से लंगर कभी* 
*ना उठता ..*


*आज उन बारिश की बूंदों से* 
*संदेश मिला ..*


*रोता तो तू भी है जब इंसान* 
*आंसू बहाता ..*


*माफ़ करदे अपने बच्चों के* 
*हर गुनाह ..*


*सब कहते हैं ,* 


*तेरी मर्ज़ी के बिना तो पत्ता भी*
*नहीं हिलता !!🙏🏻*