कोरोना संकट बढ़ने के पीछे केंद्र सरकार की लापरवाही जिम्मेदार - संतोष सोनी
देशभर के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए मेहनतकशो को सरकार अपने खर्चे से उनके घरों तक पहुंचाएं - संतोष सोनी
सोनिया ब्रिगेड ऑल इंडिया कांग्रेस मध्यप्रदेश के बैतूल जिलाध्यक्ष संतोष सोनी ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से माँग करता है
कि अचानक किए गए लाकडाउन से पूरे देश के मजदूर और किसान परेशान हैं तथा जगह-जगह भूख से मौत होने लगी है । उनके अपने घर पहुंचने की भी कोई व्यवस्था सरकार ने नहीं की है इस कारण पैदल ही बे घर जा रहे हैं और घर पहुंचने के पहले ही कई लोगों की मौत हो चुकी है ।सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और सभी को अपने-अपने घर पहुंचाने की सरकारी व्यवस्थाएं की जाना चाहिए ।कि आपके द्वारा अचानक 23 मार्च को बिना किसी पूर्व सूचना के लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई ,जिसके चलते देश भर के करोड़ों नागरिक जो विभिन्न कारणों के अपने घर से निकले थे, फंस गए। देश भर में विभिन्न राज्यों एवं जिलों को जब सील किया गया तब लाखों लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया था। 21 दिन क्वारंटाइन रहने के बावजूद आपके द्वारा लॉक डाउन की अवधि 17 अप्रैल से 3 मई तक किए जाते समय भी इन लाखो नागरिकों की सुध नहीं ली गई । लॉक डाउन में फंसे हुए नागरिकों में करोड़ों मजदूर ऐसे हैं जिनका रोजगार निर्माण कार्य,कारखाने ,गुमटी ,ठेले बंद हो जाने के चलते खत्म हो गया है।इसमें दिहाड़ी , ठेका मजदूर शामिल हैं।
अब स्थिति भयावह होती जा रही है। आपने एक महिला द्वारा अपने बच्चे को भुख से तड़पता देख आत्महत्या की घटना पढ़ी होगी ।आपने सुरत ,मदुरै तथा मुंबई के मेहनतकश मजदूरों द्वारा अपने गांव वापस जाने के लिए लॉक डाउन तोड़ते हुए हजारों की संख्या में बाहर निकलने की घटना भी देखी होगी ।
लॉक डाउन के चलते देश मे उन लोगों मे बेचैनी बढ़ती जा रही है, जो गरीब और बेरोजगार है जो अपने गांव या घरों में अपने परिवारजनों को लेकर चिंतित है तथा भुखमरी से बचने के लिए अपने घर लौटना चाहते है
हाल ही में मुझे मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ कि कोटा मे कोचिंग ले रहे छात्र -छात्राओं को बसें भेजकर उत्तरप्रदेश के विभिन्न जिलों में भिजवाया जा रहा है। मेरा आपसे सवाल यह है कि क्या आपके जल्दबाजी में लिए गए निर्णय के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए संकट से नागरिकों को उबारने की जिम्मेदारी स्वतंत्र रूप से राज्यों की है ? क्या इस देश का हर भारतीय नागरिक के प्रति केंद्र सरकार की कोई जवाबदेही नही है ? यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार की ही है क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के परामर्श के बिना निर्णय लिया है। अगर मै गलत हूँ तो यह बताएं कि आपने राज्य सरकारों से लॉक डाउन के पहले कब-कब ,किस किस मुख्यमंत्री से बात की थी ?
आपको भी देश के प्रति अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए।आपने पहले 2 महीने की देरी की ,15 लाख विदेशी यात्रियों को क्वारेंताईंन करने की व्यवस्था नहीं की । आपकी सरकार और पार्टी ने देश में कोरोना महामारी को समुदाय विशेष से जोड़कर सामाजिक तनाव और कई जगहों पर हिंसा फैलाने का सुनियोजित कार्य किया ।
अब देश में एक नई बहस आपके उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने शुरू की है कि कोटा के छात्र - छात्राओं को लेकर । केवल कोटा छात्र छात्राओं को ही क्यों ले जाया जा रहा है ?
क्यों केवल गुजरातियों के लिए लुग्ज़री बसें भेजी जा रही हैं?प्रवासी मजदूरों ( मेरे लिए यह मेहनतकश वर्ग है )को क्यों नहीं? मैं छात्र - छात्राओं को घर पहुंचाए जाने के पक्ष में हूँ ,परंतु यह सुविधा देश के हर नागरिक के लिए आपकी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए । हर नागरिक को अपने घर जाने का अधिकार है। विदेश में फंसे नागरिकों को आप हवाई जहाज भेज कर जब बुलवा सकते हैं तो देश के आम नागरिकों को स्पेशल ट्रेन से भिजवाने की व्यवस्था की ही जानी चाहिए । मैरा आपसे अनुरोध है कि आप 3 मई तारीख से, जो जहां एक बार जाना चाहता है उसे वहां पहुचाने के लिए रेल,बस ,टैक्सी आदि की सरकारी खर्चे पर व्यवस्था कराने हेतु जनहित में निर्णय करें।
जिले में बाहर से आने वाले सभी नागरिकों की जांच की व्यवस्था की जानी चाहिए ।कोई लक्षण न होने पर घर मे ही क्वारेंटाइन किया जाना चाहिए।जिले की इकाई को जनपद / ब्लॉक तक भी ले जाया जा सकता है।
होना तो यह चाहिए था कि जब आपने दूसरी बार लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा की थी तब तक उन सभी नागरिकों की जांच पूरी हो जानी चाहिए थी ,जो अपने घर वापस जाना चाहते है। यह प्रक्रिया अपनाया जाना चाहिए थी ताकि जिन जगहों या इलाकों में संक्रमण नहीं है ,वहां संक्रमित व्यक्ति के पहुचने की संभावना समाप्त हो जाती। कोरोना टेस्ट की अति धीमी गति से महामारी की व्यापकता का पूरा पता नहीं चल पा रहा है ।आशा है कि आप मेरे सुझावों को गंभीरता से लेकर उक्त समस्याओं के निराकरण के लिए अविलंब निर्णय लेंगे। आप चाहें तो 26 अप्रैल के मन की बात कार्यक्रम में भी मेरे सुझावों को शामिल कर सकते हैं