*सोनिया जी का अपमान, भारतीय सनातन संस्कृति का अपमान*
भारतीय सनातन संस्कृति और सभ्यता का मूल मंत्र है, *"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"* अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं । भारत ने अपनी संस्कृति , सभ्यता और समाज के विकास का मापदंड नारी की स्थिति को माना है । भारत ने हमेशा से नारी के अपमान को राष्ट्र के अपमान के रूप देखा है।
आज जिस अभद्र भाषा को प्रयुक्त कर सोनिया गांधी जी का अपमान अर्णव गोस्वामी ने किया है ,उसकी राष्ट्रव्यापी भर्त्सना होनी चाहिए । सोनिया गाँधी जी सिर्फ़ भारत की बहू ही नहीं हैं अपितु उनमें भारत की रगों में दौड़ने वाला त्याग और बलिदान भी प्रतिबिंबित होता है ।
एक ओर उनकी गौरवशाली विरासत में दुर्गा जैसी माँ स्वरूपा बलिदानी इंदिरा जी के संस्कार हैं, तो दूसरी ओर सुहाग के रूप में राजीव जी की शहादत । आज जब कुछ लोगों के लिए सत्ता और उसकी भूख ही सर्वोपरि है, तब हमें याद रखना चाहिये कि सोनिया गाँधी जी ने प्रधानमंत्री का पद त्याग कर भारतीय राजनीति में ऊंचे मापदंड स्थापित किए हैं ।
सोनिया गाँधी जी ने यूपीए की चैयरपर्सन रहते हुए देश को अधिकार सम्पन्न किया है ।चाहे वो भारत के 80 करोड़ लोगों को भोजन का अधिकार देने की बात हो , आदिवासी भाइयों को वनों में रहने और आजीविका का अधिकार हो , करोड़ों बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार हो , सुशासन की पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार हो या मनरेगा के तहत करोड़ों लोगों को काम का अधिकार हो ।
आज सोनिया गांधी जी का अपमान अधिकार संपन्न देश का अपमान है । भारत इतना चेतना शून्य नहीं है । हम उम्मीद करते हैं कि देश के कलाकार , कलमकार, इतिहासकार, फ़िल्मकार , समाजशास्त्री , राजनैतिज्ञ सब दृढ़ता से भारत की बहू के खिलाफ़ हुए इस अमर्यादित आचरण का विरोध करेंगे । हमें अपेक्षा है कि भारत के प्रधानमंत्री जी भी इस घटना पर मौन सहमति न प्रदान करते हुए मुखरता से इसका विरोध करेंगे