*सुनो कन्हैया....
बिखर न जाएँ हम कहीं
थाम लो प्यारे
एक पल भी न रह सकते हैं
बिन तुम्हारे
हरेक साँस बस
तेरा ही नाम लेती है
हरेक साँस बस
मोहन तुझे ही पुकारे
बिखर न जाएँ......
ये भी सच है हमें
इश्क़ का इल्म न हुआ कभी
इश्क़ की बाज़ी में तुम
जीते मोहन हम हारे
बिखर न जाएँ .......
जाने क्यों दर्द भी अब
अज़ीज़ लगने लगे
ले लो मेरी खुशियाँ
अपने गम दे दो सारे
बिखर न जाएँ ......
तुमको है इश्क़ ये
इस दिल को ऐतबार है
बस इसी आस में
कट जाएँगे दिन मेरे सारे
बिखर न जाएँ ........
क्यों ये दिल बार बार
तेरे लिए रोता है
क्यों तुम हो गए हो
मुझे जान से भी ज्यादा प्यारे
बिखर न जाएँ हम कहीं
थाम लो प्यारे
एक पल भी न रह सकते हैं
बिन तुम्हारे
*जय श्री राधेकृष्ण*