*आधारहीन,अविश्वस्त आंकड़े परोसकर सरकार बोल रही है "महाझूठ"....दावा 1.90 लाख मजदूरों को लाने का....जिस प्रदेश की जवाबदार आयएएस जमात प्रवासी नागरिकों के फोन उठाने को तैयार नहीं है,वहां लाचार मज़दूरों की?????....क्या कोई बताएगा-इन्हें लाने में कितने,कौन-कौन से वाहन लगे,लॉक डाउन का पालन करते हुए उन्हें कैसे बैठाया गया,उनके भोजन,नाश्ते की व्यवस्था किसने,कहाँ की,कितनों का क्वारेन्टाइन हुआ,किन्हें कहाँ छोड़ा गया?*
*सरकार जी,सरकारी खातों में बिल इत्यादि लगाकर भुगतान निकालने के लिए यह आंकड़े उचित प्रतीत हो सकते हैं!! "ईश्वर की आंखें यह सब देख रही हैं।" यदि यह दावा सतही तौर पर पूरा हो गया होता तो आज पूरे प्रदेश की प्रवेश सीमाओं से भूखे,प्यासे, छाले पड़ चुके नंगे पैरों से अपनी पत्नी,बच्चों के साथ भारी धूप में सैकड़ों हजारों कि.मी.अपने गंतव्य के लिए कूच कर रहे दर्दीले काफिले दिखाई नहीं देते? ओरंगाबाद रेल दुर्घटना,नरसिंहपुर ट्रक दुर्घटना,मुख्यमंत्री जी के गृह क्षेत्र बुदनी आदि में कुल मिलाकर 2 दर्जन से अधिक मज़दूरों की मौतें नहीं होती,सोमवार को ही इंदौर में लॉक डाउन की वजह से अपने घर न जा पा रहे एक छात्र ने तनाव में फांसी लगा ली है,सरकार!!*
*सरकार जी,अपनी असफलता के अवैध स्मारक को बचाने के लिए जिस तरह कोरोना संक्रमितों, हो रही मौतों को लेकर भी वास्तविक तथ्यों को छुपाया जा रहा है,कम से कम इस मानवीय त्रासदी में तो गरीब,गरीबी,इंसान और इंसानियत से खिलवाड़ बंद कीजिए!!*