आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों को बरकरार रखने का न्यायालयीन अंतरिम आदेश शिवराज सरकार की नैतिक पराजय : दुर्गेश शर्मा एवं संतोष सिंह गौतम* May 29, 2020 • Mr. Dinesh Sahu *आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों को बरकरार रखने का न्यायालयीन अंतरिम आदेश शिवराज सरकार की नैतिक पराजय : दुर्गेश शर्मा एवं संतोष सिंह गौतम* मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता श्री दुर्गेश शर्मा एवं संतोष सिंह गौतम ने आज जारी अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पिछली कमलनाथ सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्तियों को फिलहाल बरकरार रखने का जो अंतरिम आदेश दिया है, वह उस नवनियुक्त शिवराज सरकार की नैतिक पराजय है जिसने सत्ता के दंभ में राजनैतिक विद्वेष की भावना से आनन-फानन में इन नियुक्तियों को रद्द करने का तुगलकी आदेश दिया था। अपने वक्तव्य में श्री शर्मा व श्री गौतम ने उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए आगे कहा कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा, राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री आनंद अहिरवार, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री जे. पी. धनोपिया, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष श्री अभय तिवारी व अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री अशोक सिंह आदि के साथ ही कई आयोगों के सदस्यों को उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया स्थगन आदेश राज्य सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाते हुए, यह स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है कि पूरे मामले में राज्य सरकार ने जो जल्दबाजी की थी दरअसल वह राजनीतिक विद्वेष की भावना के चलते ही की गई थी। अपने बयान के अंत में प्रवक्ताद्वय ने कहा कि उक्त स्थगन आदेश से हर आम नागरिक का देश की न्यायपालिका के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है। हम आशा करते हैं कि न्यायालय जब अंतिम फैसला सुनाएगा, उसमें भी विजय सत्य की ही होगी।