एक ओर जहां देश कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है वहीं ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाक़ों में चक्रवाती तूफ़ान का ख़तरा मंडरा रहा है.


एक ओर जहां देश कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है वहीं ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में चक्रवाती तूफ़ान का ख़तरा मंडरा रहा है. मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव के चक्रवाती अंफान तूफ़ान में बदलने की आशंका जताते हुए तटवर्ती इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. विभाग ने मछुआरों को समुद्र में नहीं उतरने और पहले से मछली पकड़ने गए मछुआरों को तुरंत वापस लौटने को कहा है.


उन्होंने बताया कि इसके 18 से 20 मई के दौरान उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर बढ़ने और फिर पश्चिम बंगाल तट की ओर बढ़ने की संभावना है. इसकी वजह से तटीय जिलों में 19 मई और 20 मई को भारी बारिश होने का अनुमान है.मौसम विज्ञान केंद्र भुवनेश्वर के मुताबिक, यह चक्रवाती तूफान छह घंटों के दौरान दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी और आसपास के इलाके की ओर बढ़ा है और 16 मई को उसी क्षेत्र में केंद्रित रहा है. 18 मई को यह तूफ़ान और भयानक चक्रवाती रूप लेकर तेज़ हवाओं के साथ तटीय इलाकों से टकरा सकता है. भुवनेश्वर में मौजूद बीबीसी के सहयोगी सुब्रत कुमार पति ने बताया कि 567 केंद्रों के अलावा क़रीब 7000 अतिरिक्त इमारतों को तूफ़ान के वक़्त शेल्टर होम बनाने के लिए तैयार किया गया है. इन शेल्टर होम में 11 लाख लोगों को रखा जा सकता है.


चक्रवाती तूफान का अलर्ट जारी होने के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ़ के साथ फायर ब्रिगेड की टीमें भी तैयार हैं. राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हालात का जायजा लिया है और लोगों से संयम बरतने की अपील की है.


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