उमरिया - जिले के मानपुर जनपद पंचायत के भरौली ए बचहाए सलैयाए मुडगुडी आदि ग्रामों के सैकडो किसान लाक डाउन के दौरान ग्रीष्म काल में तरबूज की खेती कर लाखों रूपये कमा रहे है। किसानों द्वारा उत्पादित तरबूज जिले के थोक व्यापारी उनके खेतों से खरीद ले जाते हैए जिससे उन्हें अपनी उपज बेचने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है। ये व्यापारी तरबूज का व्यवसाय सतनाए कटनी ए मैहरए रीवा आदि मण्डियों में करते हैलाक डाउन अवधि में उमरिया जिले के ये किसान अपनी समय का सदुपयोग करते हुए तरबूज की खेती में लगा रहे हैग्राम बचहा ए सलैयाए मुडगुडी सहित आस पास के अन्य ग्रामों के सैकडो किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र उमरिया द्वारा तरबूज की जैविक खेती का प्रशिक्षण देने के साथ ही बीज एवं जैविक उर्वरक उपलब्ध कराई गईए जिसका परिणाम किसानों के खेतों में देखा जा सकता हैं। आज जब लाक डाउन के कारण सभी वर्ग के लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे है तब उन ग्रामो के किसान रोज 2 से 3 हजार रूपये की आय प्राप्त कर रहे है।
कृषक गणेश दत्त जायसवाल एवं पुष्पराज जायसवाल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र से जैविक विधि से तरबूज की खेती का प्रशिक्षण लेने के बाद हम लोगों ने ग्रीष्म काल में तरबूज की खेती प्रारंभ की। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा सिखाई गई तकनीक तथा जैविक खाद एवं कल्चर के उपयोग से तरबूज की फसल का दोगुना उत्पादन प्राप्त हो रहा है। उनका कहना है कि दो से तीन हजार रूपये तक की रोजाना आय मिल जाती है। किसान नारायण जायसवाल ने बताया कि थोक व्यापारी खेतो से ही तरबूज खरीद कर ले जाते है। इसके साथ ही स्थानीय स्तर के छोटे एवं मझोले व्यापारी भी दो पहिया वाहनों से तरबूज का व्यापार कर अपनी आजीविका चला रहे हैकृषि विज्ञान केन्द्र उमरिया के कृषि वैज्ञानिक डा के पी तिवारी ने बताया कि तरबूज की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। आज जब देश का हर वर्ग लाक डाउन के कारण आर्थिक तंगी का शिकार है तब उमरिया जिले के किसान लाक डाउन अवधि का उपयोग अपनी आजीविका को सुदृढ करने में सफलता प्राप्त की हैए जो देश और समाज के लिए अच्छा उदाहरण है।