कल सरकार द्वारा सशर्त दुकाने खोलने को लेकर ऐलान किया, इसपर देशभर से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही हैं।

💐*सशर्त दुकान खोलने पर प्रतिक्रिया*💐


कल सरकार द्वारा सशर्त दुकाने खोलने को लेकर ऐलान किया, इसपर देशभर से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही हैं।


कोई कह रहा है सरकार गलत कर रही है, कोई कह रहा है अच्छा है कब तक बंद रखते। कोई इसे धर्म के आधार पर जोड़ रहा है कोई इसे सरकार की नाकामी बता रहा हैं।


ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए जो लॉक डाउन शुरू होने से लेकर अब तक घर में परिवार सहित लॉक डाउन का पूरी शिद्दत से पालन कर रहे हैं।।


तो इसे ऐसे समझें -
एक बड़ी सी नाव हैं, जो उफनती नदी के बीच जा फंसी हैं। जिसको किनारे पर लाने के लिए नाव चलाने वाला पुरजोर प्रयास कर रहा है लेकिन नाव में बैठी कुछ सवारी नदी में कूदने का कह रही हैं।


नाव चलाने वाला लगातार निवेदन कर रहा है कि नदी में कूदना मतलब की निश्चित मौत हैं। बहुत अच्छे तैराक बच भी गए तो उनके परिवार वाले नही बच पाएंगे।।। 


अधिकांश सवारी नाव में बिल्कुल स्थिर बैठी है ताकि नाव का बैलेंस ना बिगड़े और नाव चलाने वाले कि सभी बात को मान भी रही हैं। क्योंकि उन्हें उस नाव को चलाने वाले कि क्षमता पर पूरा भरोसा हैं।


ऎसे में नाव में उत्पात मचाने वाले लगातार नाव चलाने वाले पर दबाव बना रहे है कि हमें कुछ समय के लिए ही लेकिन नदी में कुदने दिया जाए। हमें या हमारे परिवार को जो होगा वो हम देख लेंगे।।।


अब यदि उन्हें मना किया जाए तो नाव के सभी सवारी को धोखा है कि उत्पात से नाव पलट ना जाये।।


किनारे के बहुत नज़दीक पहुँचने से पहले एक तूफ़ान फिर से आता है अब उत्पातियों ने और भी दबाव बना लिया ऐसे में नाव को चलाने वाले ने उन्हें उफनती नदी में कूदने को कह दिया। नाव चलाने वाला जानता है की इस तूफान से बच पाना संभव नही हैं। यदि अच्छे तैराक बच भी गए तो बहुत से परिवार इसमे डूब जायेगे।


लेकिन नाव में बैठी करोड़ो सवारी की जान बचाने के लिए यह निर्णय लेना आवश्यक हैं।


अब हमें क्या करना है, चाहे सरकार की तरफ से पूरी छूट मिल जाए यदि आपको अपने परिवार या स्वयं से थोड़ा भी प्यार हैं। यदि आपकी नजर में परिवार के सदस्यों की जिंदगी की कीमत आपकी चंद पलों की मस्ती से ऊपर है तो घर मे ऐसे ही रहे जैसे अब तक हैं।


किसी के मर जाने के बाद कोई धर्म जात - पात उसे वापस नही ला सकती। इसीलिए आपको यही मानकर चलना है चाहे कुछ हो जाये। हमें हमारे घर मे रहकर परिवार की रक्षा करना हैं।।।


सशर्त हो या अशर्त हो...


किसी भी परिस्थिति में बाहर ना निकलें, सरकार की शर्तो के आधार पर कोरोना होगा ऐसा बिल्कुल नही हैं... 


जिन्हें नदी में कूदने का शौक है बेशक कूदें लेकिन आप नाव में बने रहें।। किनारे पर पहुँचकर फिर से नई जिंदगी आपका इंतजार कर रही हैं।।।


*🙏🏻घर पर रहे, सुरक्षित रहे🙏🏻*