रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है
जीना मरना खोना पाना चलता रहता है!
सुख दुख वाली चादर घटती वढ़ती रहती है
मालिक तेरा ताना-बाना चलता रहता है...
इश्क़ करो तो जीते जी मर जाना पड़ता है.
मर कर भी लेकिन जुर्माना चलता रहता है..
जिन हालातो ने काम दिलाया *कलम* हाथ मे देकर लिखने का..
आज तलक उनको *शुकराना* चलता रहता है.
.✍🏻 विजय सोनी