राकेश शौण्डिक-राँची/झारखंड
नम्र निवेदन ,और एक विनम्र अपील - मेरे प्यारे शौणडिक भाइयों एवं बहनों ,आप सबों को मेरा पारिवारिक रूप में हम से जुड़े सभी बड़े भैया बहनों को मेरा सादर प्रणाम ।एवम सभी छोटे भाई बहनों को हमारा प्यार आदर सहित विशेष स्नेह आशीष शुभकामनाएं, एवं सभी मित्रों को ढेर सारी बधाई के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं । आज पूरा विश्व संघर्ष कर रहा है। जिसमें भारत भी साथ में है, और पूरी विश्वास के साथ आस्था भी है की हम सब मिलकर इस जंग को जीतेंगे लेकिन क्या हमने कभी विचार किया है, कि - इस जीत के बाद यानी जब हम, इस दहशत भरी जिंदगी से निकलेंगे तब हम हमारा परिवार, हमारा समाज, का जीवन कैसा होगा । हमारे परिवार कैसे होंगे ,हमारे समाज कैसे होंगे, हमारे समाज की भूमिका, देश की उन्नति में क्या होगी, सीधा सा प्रश्न है कि क्या हम जो जीवन जी रहे हैं, जो हमें प्रतिष्ठा अभी मिल रही है ,जो सम्मान हमें मिल रहा है, उससे हम खुश हैं, तो हम लोग सभी का उत्तर होगा कतई नहीं ,तो फिर हमारे मन में कुछ सवाल उत्पन्न होता है कि- हमें क्या करना चाहिए जिस से पहले की अपेक्षा मेरे परिवार ,मेरा समाज ,मेरा देश ,का मान सम्मान ज्यादा मिले या हम पूरे देश के सर्वोत्तम बने तो इसके लिए जाहिर है कि- हम जो बरसों से करते आ रहे हैं ,अगर हम वही करेंगे तो, हमें वही मिलेगा जो हमें आज तक मिला है ,और हमें आज तक क्या मिला है ,वह हम सबों से छिपा हुआ नहीं। हमें कितना सम्मान मिलना चाहिए ,और कितना अपमान हमें मिला ,इस सब को जानते हैं तो पुनः हम अपने अंदर आत्मा से आत्म विश्लेषण कर ,हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि -अगर हम सब शौणडिक परिवार एक छोटा सा योगदान करें तो, हम सब विश्व के मानचित्र में इस समाज को अग्रणी पाएंगे ।उसके लिए हमें कुछ पहल करनी होगी (1) हम अपनी पहचान को छुपा कर रखते हैं ,इसलिए हमारी पहचान आज तक छुपी हुई है तो उसको पहले हमको बाहर निकलना है इसके लिए हम जैसे भी जो टाइटल लगाते हैं साहू, गुप्ता ,प्रसाद, कुमार, पूर्वी ,महतो, मंडल ,सब लगाएं लेकिन इसके साथ उपनाम हम लगाते हैं। पुकारने का नाम लगाते हैं ।उसमें हम शौणडिक लगाएं ।जो पहले से नाम जुड़ गया है, उसमें तो कोई बात नहीं है उसको सिर्फ इसी तरह से बोलना है शौणडिक । लेकिन जो आने वाला भविष्य है उसका हम टाइटल शौणडिक रखेंगे । (2) हम अपना ,अपने परिवार, अपने मित्र ,और अपने समाज का ,अपने मन से कभी बुराई नहीं करेंगे ।हमेशा अपने लोगों को आगे बढ़ने के बारे में बताएंगे। कम से कम हम अपने अपने मुख से अपने लोगों का बुराई नहीं करेंगे। (3) हम अपने समाज में लगे हर वैसे व्यक्ति का सम्मान देंगे, जो कुछ समय निकालकर समाज को संगठित करने में लगाते हैं। (4) हम अपने घर के दीवार पर जो नेमप्लेट लगाते हैं उसमें हम नाम के साथ शौणडिक लिखेंगे या मकान के ऊपर शौणडिक भवन लिखेंगे। तो इस तरह जैसे हम सभी सनातन धर्मावलंबी हैं सभी लोग अपने घर में तुलसी का पौधा बजरंगबली का झंडा लगाते हैं। उसी तरह से इसे भी धर्म के साथ जोड़ दें तो भाइयों मुझे पूरा विश्वास ही नहीं पूरी आस्था है कि- हमारा पूरा परिदृश्य ही बदल जाएगा। भगवान श्री कृष्ण गीता के अध्याय 12 अश्लोक 20 में कहते हैं - जो लोग मित्रता शत्रुओं के लिए समान है ,जो मान ,तथा अपमान ,सीत तथा गर्मी, सुख तथा दुख, यस तथा अपयश, मे समभाव रखता है ।जो दूषित संगति से सदैव मुक्त रखता है, जो सदैव मौन और किसी वस्तु से संतुष्ट रहता है ,जो किसी प्रकार के घर वार से परवाह नहीं करता, जो ज्ञान में ड्रिड है, और जो प्रभु शक्ति में सलंग्न है, ऐसा पुरुष मुझे अत्यंत प्रिय है ।। गायत्री परिवार के आचार्य श्री राम शर्मा आचार्य कहा करते थे की - हम बदलेंगे युग बदलेगा। हम सुधरेंगे युग सुधरेगा । तो इसी आधार पर मैं राकेश कुमार शौणडिक अपने मन वचन से आज प्रण लेता हूं की- मैं, अपने ,परिवार, और अपने समाज, एवं अपने देश का, कभी भी वचनों से ,कभी बुरा नहीं बोलूंगा, और जहां तक हो सकेगा अपने समाज हित में लगाए रखूंगा। और इसी आशा के साथ कि हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा समाज हमारा देश आगे बढ़ रहा है। जिसका परिदृश्य जब हम इसको कोरोना के जंग से निकलेंगे तब हमें दिखाई पड़ने लगेगा। बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत बहुत ही बधाई और मेरे तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं कि इस राह पर चलकर हमें नया मंजिल मिल गया है जय हिंद, जय भारत ,जय शौणडिक समाज।। राकेश कुमार शौणडिक राँची झारखंड Mobile No.. 9399137475..