वाराणसीः वर्षों से यहां शाम को होने वाली सप्तर्षि आरती को संपन्न कराने वाले महंत परिवार को इस कार्य से प्रशासन ने बेदखल कर दिया है और अब यह ज़िम्मा प्रशासन की ओर से नियुक्त 'पंडितों' को सौंप दिया गया है.


वाराणसी यानी बनारस में विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़े विवाद अभी समाप्त भी नहीं हो पाए थे कि अब मंदिर से जुड़ा एक और विवाद सुर्खियों में आ गया है. वर्षों से यहां शाम को होने वाली सप्तर्षि आरती को संपन्न कराने वाले महंत परिवार को इस कार्य से प्रशासन ने बेदखल कर दिया है और अब यह ज़िम्मा प्रशासन की ओर से नियुक्त 'पंडितों' को सौंप दिया गया है. विश्वनाथ मंदिर में हर दिन शाम को होने वाली सप्तर्षि आरती को संपन्न कराने वाले महंत परिवार का आरोप है कि प्रशासन ने उन लोगों को अचानक मंदिर परिसर में जाने से रोक दिया. राजेंद्र तिवारी बताते हैं, "विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर महंत परिवार के सभी सदस्यों के मकान प्रशासन ने ज़बरन ले लिए. मंदिर को लेने की कोशिश लगातार हो रही है लेकिन यह अब तक नहीं ले पाए हैं. इस मंदिर को भी प्रशासन अपने कब्जे में लेकर वैसे ही ध्वस्त कर देना चाहता है जैसे कि कॉरिडोर के नाम काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के कई लोगों के घर मंदिर के आस-पास ही हैं. विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के लिए बड़ी संख्या में जो मकान प्रशासन ने लिए हैं उनमें इन लोगों के भी मकान हैं. वाराणसी के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार विक्रांत दुबे कहते हैं, "यहां जब मकानों को गिराने के नोटिस मिले थे और मंदिर गिराए गए थे तो उस मामले में भी महंत परिवार के लोग काफ़ी मुखर होकर विरोध कर रहे थे. प्रशासन से उनकी लड़ाई तभी से चल रही है. दूसरे, सिर्फ सप्तर्षि आरती ही अब तक एकमात्र ऐसा कर्मकांड था जिसे महंत परिवार संपन्न करा रहा था. इस काम से बेदखल होने के बाद अब पूरी तरह से मंदिर पर प्रशासन का वर्चस्व हो जाएगा."


महंत परिवार पर लगा है चोरी का आरोप? विक्रांत दुबे बताते हैं कि महंत परिवार और काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की लड़ाई क़रीब चार दशक पुरानी है. वो बताते हैं, "साल 1983 में बाबा दरबार में चोरी की एक बड़ी घटना हुई थी जिसमें मंदिर में लगे सोने को चोर चुरा ले गए थे. जांच पड़ताल में आरोपों की आंच महंत परिवार और उनसे जुड़े पंडों तक पहुंची. मामला कोर्ट में भी गया. इसके बाद मंदिर की व्यवस्था और पूजा से महंत परिवार को हटाने का निर्णय लिया गया. लेकिन उस समय के एक बड़े कांग्रेसी नेता के हस्तक्षेप से सप्त ऋषि आरती महंत परिवार के लोगों को करने की छूट दे दी गई." महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच पिछले दो-तीन साल से विवाद गहराने लगा है, खासकर जब से विश्वनाथ कॉरिडर परियोजना की शुरुआत हुई है. मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि इस साल की शुरुआत में ही मंदिर प्रशासन ने महंत परिवार को पूरी तरह से किनारे लगाने के लिए रणनीति बनानी शुरू की. बहरहाल, मंदिर प्रशासन और महंत परिवार का विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा है. महंत परिवार जहां प्रशासन पर मंदिर और मंदिर परिसर की प्राचीनता को नष्ट करके व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बनाने का आरोप लगा रहा है, वहीं प्रशासन का कहना है कि वह इस परिसर का सुंदरीकरण करने में लगा है. इस टकराव के बीच, सड़क पर आरती करने के मामले में वाराणसी ज़िला प्रशासन ने महंत परिवार के कुछ लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. इसमें मुख्य महंत शशिभूषण तिवारी उर्फ गुड्डू महराज के अलावा बीस अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत चालान किया गया है.


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