बैतूल -रेत माफिया के हाथ की कठपुतली बना खनिज विभाग

नियम विरुद्ध भंडारण की दी अनुमति रेत के मनमाने रेट और प्रशासन के रवैये के खिलाफ शिवसेना ने खोला मोर्चा



बैतूल। जिले में रेत के कारोबार को लेकर विरोध का बिगुल बज गया है। सामाजिक कार्यकर्ता भारत सेन के नेतृत्व में शिवसेना ने एक ज्ञापन गुरुवार को कलेक्टर के नाम दिया है। उनका खुला आरोप है कि रेत के खेल में असली माफिया खदान नीलामी में लेने वाले ठेकेदार है पर डंपर संचालको को माफिया बता कर अत्याचार किया जा रहा है उन पर प्रकरण बनते है। भारत सेन और उनके सहयोगियों का आरोप है कि खनिज विभाग और खनिज अधिकारी इन ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली है। उनका कहना है हाल ही में दी गई रेत के भंडारण की अनुमति इसका बड़ा उदाहरण है। जो अनुमति दी गई वो विधि विरुद्ध हैए इसमे अनुमति के लिए डायवर्सन जमीन नही हैए पीसीबी की एयर वाटर कंसल्टिंग नहीं है फिर भी अनुमति दे दी गई। बिना इसके यह अनुमति अवैध है। वही एक भंडारण में तो बिना सीटीओ के सीटीई भी दे दीइस कि जांच होना चाहिएउनका आरोप है कि प्रशासन नेतानुमा रेत ठेकेदारों के हित में काम कर रहा लोक हित मे नही इसलिए रेत के दाम मनमाने तरीके से बढ़ाए गए है।


इससे आम गरीब तबके के लिए मकान बनाना महंगा हो रहा.यह है असली मुद्दा बैतूल जिले में खनिज ठेकेदार रेत की मनमानी कीमत खदान पर वसूल रहा हैं। डम्पर चालक और डम्पर मालिक खनिज माफिया प्रचारित हो रहे हैं। खदान पर 12500 रूपए में 10 घनमीटर रेत खनिज ठेकेदार बेच रहा हैं और बैतूल में रेत के डम्पर 18000 रूपए से 20ए000 हजार रूपए में बिक रहीं हैंसरकार को केवल 125 रूपए प्रतिघन मीटर की दर से राजस्व मिल रहा हैं तो खनिज ठेकेदार के लिए रेत का अधिकतम विक्रय मूल्य क्या होना चाहिए: मप्र रेत नियम 2019 में केवल अवैध परिवहनए भण्डारण और उत्खन्न अपराध है लेकिन ठेकेदार द्वारा मनमानी कीमत पर विक्रय अपराध नहीं हैं बैतूल की जनता को लूटा जा रहा हैं। वैसे तो बैतूल जिले में कई राजनीतिक दल हैं जो जनता के हित की आवाज उठाने का दावा करते हैं लेकिन मामला सामने आने के बाद तो समाजवादी पार्टीए गोंडवाना गणतंत्र पार्टीए बहुजन समाज पार्टीए षिव सेना आरपीआई भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टीएभारतीय कम्यूनिस्ट पार्टीए आम आदमी पार्टीए जनता दल यूनाईटेडए खामोष बैठे हैं। चुनाव के समय जनता के लिए संघर्ष का दावा करके भूल जाते हैं। भारत के संविधान के बारे में जानकारी होने के बावजूद एक ज्ञापन तक कलेक्टर बैतूल को सौपने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त दलित और पिछड़े वर्ग के संगठन इस शोषण के विरुद्ध आवाज नहीं उठा रहे हैं।


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