भारत-चीन सीमा पर हालिया घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में कहा कि ना कोई हमारे क्षेत्र में घुसा है और ना किसी पोस्ट पर क़ब्ज़ा किया गया है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत शांति और दोस्ती चाहता है लेकिन वो अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा.
भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसा को लेकर चीन के बयान के बाद अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय सेना ने कभी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के उल्लंघन की कोशिश नहीं की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, "गलवान घाटी एरिया को लेकर भारत की स्थिति ऐतिहासिक तौर पर स्पष्ट है. चीन की तरफ से लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर बढ़चढ़ कर ऐसे दावे किए गए हैं जो कतई स्वीकार्य नहीं हैं. ये दावे पूर्व में इस जगह को लेकर खुद चीन की स्थिति से अलग हैं." लेकिन गलवान घाटी इलाके को लेकर चीन इस सहमति का सम्मान नहीं कर सका और लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के ठीक नज़दीक निर्माण कार्य शुरु किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया तो 15 जून को उन्होंने हिंसक कदम उठाए जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई.
चीन ने किया था गलवान घाटी पर अधिकार का दावा इससे पहले चीन ने कहा था कि कि उसकी हिरासत में कोई भारतीय नहीं है. चीन ने ये भी कहा था कि समूची गलवान घाटी उसके अधिकार क्षेत्र में है. चीन के विदेश मंत्रालय की रोज़ाना प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि, "जहां तक मुझे जानकारी है, इस समय चीन की हिरासत में कोई भारतीय सैनिक नहीं है."उन्होंने कहा, "चीन भारत के साथ रिश्तों को महत्व देता है और उम्मीद करता है कि भारत चीन के साथ मिलकर दूरगामी विकास के लिए द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर करने के लिए काम करेगा."
गलवान घाटी पर चीन ने क्या कहा, पढ़ें पूरा बयान पूरी गलवान घाटी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्शन में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन की ओर है. कई सालों से चीन के सैनिक इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं. 6 मई की सुबह को एलएसी पार करने वाले सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने, जो रात में एलएसी पार करके चीन के क्षेत्र में आ गए थे, बैरिकेड लगाए और किलेबंदी की जिससे सीमा पर तैनात चीन के सैनिकों की गश्त में अवरोध पैदा हआ. तनाव कम करने के लिए भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक चैनलों से बातचीत की. चीन की मज़बूत मांगों की प्रतिक्रिया में भारत एलएसी पार करने वाले अपने सैनिकों को वापस बुलाने और बनाए गए ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए तैयार हो गया. भारत ने ऐसा किया भी.
गलवान घाटी में कितने भारतीय सैनिक घायल हुए? लेकिन 15 जून की रात को सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन क एक बार फिर एलएसी पार कर गए. जब गलवान घाटी में तनाव कम हो रहा था, उन्होंने जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ फ़ोन पर हई वार्ता में विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से कहा है कि इस घटना की गंभीरता से जांच की जाए, ज़िम्मेदार लोगों को सख्त सज़ा दी जाए और सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों को अनुशासित किया जाए और तुरंत सभी उकसावे की कार्रवाइयां बंद की जाएं ताकि ऐसी घटनाएं फिर ना हों. ज़मीन पर हालात को सुधारने के लिए जल्द ही कमांडरों के बीच दूसरी बैठक भी होगी. गलवान घाटी में हई झडप के बाद पैदा हए गंभीर हालातों से निबटने के लिए दोनों ही पक्ष न्यायपर्ण तरीके से काम करेंगे, कमांडर स्तर की बैठक में तय हए समझौते का पालन करेंगे और हालात को जल्द से जल्द शांत करेंगे और अब तक हुए समझौते के तहत सीमावर्ती क्षेत्र में शांति स्थापित करेंगे. इससे पहले भारत ने क्या कहा था? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "अभी तक जिनसे कोई सवाल नहीं करता था, जिन्हें कोई नहीं रोकता था, अब हमारे जवान उन्हें कई सेक्टर्स में रोक रहे हैं, चेतावनी दे रहे हैं." हालांकि इसके एक दिन बाद शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर स्पष्टीकरण दिया और कहा कि सीमा विवाद के मद्दे पर सर्वदलीय बैठक में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को कुछ हलकों में तोड़मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. बयान के अनुसार सरकार एलएसी में एकतरफ़ा बदलाव की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेगी.