चूहा अगर पत्थर का हो तो* सब उसे पूजते हैं* मगर जिन्दा हो तो मारे बिना* चैन नहीं लेते हैं*

. *चूहा अगर पत्थर का हो तो*


*सब उसे पूजते हैं* ¶


*मगर जिन्दा हो तो मारे बिना*


*चैन नहीं लेते हैं* ¶


*साँप अगर पत्थर का हो*


*तो सब उसे पूजते हैं* ¶


*मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त*


*मार देते हैं* ¶


*माँ बाप अगर "तस्वीरों" में हो*


*तो सब पूजते हैं* ¶


*मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं*


*समझते"* ¶


*बस यही समझ नहीं आता के*


*ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों* ¶


*और* ¶


*पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों* ¶


*जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को*


*कंधा देना पुण्य समझते हैं​* ¶


*काश" इस तरह' ज़िन्दा" इंसान*


*को सहारा देंना पुण्य समझने*


*लगे तो ज़िन्दगी आसान हो*


*जायेगी​* ¶ *