जो व्यक्ति जीवन की 'भौतिकता' से परिचित हो जाते हैं, वे जानते हैं कि भौतिक शरीर अज्ञानता, लालसा, व भ्रामक क्रियाओं द्वारा निर्मित है

(राकेश शौण्डिक-राँची/झारखंड)


जय श्री कृष्ण जो व्यक्ति जीवन की 'भौतिकता' से परिचित हो जाते हैं, वे जानते हैं कि भौतिक शरीर अज्ञानता, लालसा, व भ्रामक क्रियाओं द्वारा निर्मित है। वे शरीर के द्वारा न तो व्यसनी ही बनाए जाते हैं न बन्धक। आत्मा 'एक' है, पवित्र है, स्वत: प्रकाशित व अलौकिक है। यह शुचिता का स्त्रोत है, सर्व-व्यापि है व बिना किसी भौतिक आवरण के हैं। यह सम्पूर्ण क्रियाओं का साक्षी, समस्त बद्ध आत्माओं से पूर्णतया भिन्न व उनसे उत्कृष्ट है। जिस व्यक्ति को आत्मा व परमात्मा का पूर्ण ज्ञान है, वह प्रकृति की अध्यक्षता में कार्य करते हुए भी प्रकृति के गुणों से प्रभावित नहीं होता क्योंकि वह श्री कृष्ण की दिव्य-सेवा में स्थिति प्राप्त किये हुए होता है।


Popular posts
भगवान पार ब्रह्म परमेश्वर,"राम" को छोड़ कर या राम नाम को छोड़ कर किसी अन्य की शरण जाता हैं, वो मानो कि, जड़ को नहीं बल्कि उसकी शाखाओं को,पतो को सींचता हैं, । 
Image
भगवान का निवास स्थान*
Image
कान्हावाड़ी में बनेगी अनूठी नक्षत्र वाटिका, पूर्वजों की याद में लगायेंगे पौधे* *सांसद डीडी उइके एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोहन नागर ने कान्हावाड़ी पहुँचकर किया स्थल निरीक्षण
Image
पुलिस कर्मियों के बच्‍चों के लिए नवीन शिक्षा निधि नियम जारी* *पुलिस महानिदेशक का बड़ा फैसला- निजी संस्‍थान में अध्‍ययन करने वाले पात्र बच्‍चों को भी मिलेगा लाभ*
Image
गुरुपूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं - शिवराम वर्मा - प्रबन्धक ट्रस्टी गायत्री शक्ति पीठ जोबट
Image