विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद के बेटे की संस्था आब्जर्बर रिसर्च फांऊडेशन ने लिया चीनी कौंसुलेट से अनुदान भाजपा उन्हें भी चीनी एजेंट घोषित करे कमलनाथ पर झूठे आरोप लगाने से भी जनता नहीं भूलेगी सरकार गिराने का पाप: भूपेन्द्र गुप्ता

  भोपाल, 


किसी के खिलाफ जब एक उंगली उठाई जाती है तो तीन उंगलियां खुद की तरफ भी उठती हैं यह भारतीय जनता पार्टी हमेशा भूल जाती है।


कमलनाथ सरकार को अनैतिक तरीके से गिराने का पाप भाजपा का पीछा कर रहा है। उससे मुक्ति के लिये वे कमलनाथ पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, किंतु वे सफल नहीं होंगे। जिस तरह से सीमा पर चीनी सेना ने भारतीय भूमि पर कब्जा किया है और हमारे सैनिक बेवजह मारे गए हैं और स्वयं प्रधानमंत्री जी ने बताया है कि ना कोई हमारी जमीन पर घुसा ना हम उनकी जमीन पर गये तब यह सैनिक कैसे शहीद हुये? इस प्रश्न के उत्तर से बचने के लिए भाजपा ने 2005 में 15 वर्ष पहले राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन की संस्थाओं से मिले एक करोड़ रुपये के कथित दान पर सवाल उठाया है। जबकि चीनी सरकार से निकट रिश्ते बनाने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी के नेता जनसंघ के जमाने से तथा दुश्मनी के दिनों से भी करते रहे हैं। सबसे पहले 1979 विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेई ने चीन की यात्रा की थी और रिश्ते बनाने की कोशिश की थी किंतु चीन ने इनके दौरे के मध्य ही कंपूचिया पर हमला करके अटल बिहारी बाजपेयी की इस पहल पर पानी फेर दिया था। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और प्रभात झा सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से सवाल किया है कि वह बताएं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद का आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन से क्या रिश्ता है? इस संस्था ने चीनी दूतावास से 2016 और 2017 में करोड़ों रुपए का अनुदान क्यों प्राप्त किया था? इस फाउंडेशन के यूएस इनीशिएटिव के डायरेक्टर ध्रुव जयशंकर हैं जो विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद के बेटे हैं। एस जयशंकर प्रसाद पूर्व में चीन के राजदूत रह चुके हैं और वे ओआरएफ के नियमित विजिटर हैं । वे इस संस्था में जाकर विदेश नीति के विषयों पर और विशेषकर चीन से संबंधों पर भाषण भी देते रहते हैं। चीन के काउंसलेट जनरल के कलकत्ता स्थित कार्यालय से ध्रुव जयशंकर से संबंधित इस फाउंडेशन को 1.25 करोड़ के तीन अनुदान 2016 में प्राप्त हुए तथा 50 लाख रुपए का 2017 में । विदित हो कि 29 अप्रैल 16 को 7.7 लाख , 4 नवंबर को 11.55 लाख एवं 31 दिसंबर को 1.068 करोड का अनुदान दिया गया । इसी तरह काउंसलेट जनरल आफ रिपब्लिकन रिपब्लिक ऑफ चाइना से 1 दिसंबर 1917 को 50 लाख का डोनेशन इस संस्था को दिया गया है, जिसमें विदेश मंत्री नियमित रूप से आते जाते रहते हैं। इसी तरह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन ने स्वयं अपनी वेबसाइट पर यह घोषणा की है कि चीन की 9 संस्थाओं से उन्होंने चंदा लिया है जिनसे वे विदेश नीति एवं रणनीतिक योजनाओं पर सोच साझा करते हैं ।आश्चर्यजनक है कि इस संस्था के संस्थापक संचालक श्री अजीत डोभाल हैं ।यह जानकारी स्वयं संस्था ने अपनी वेबसाइट पर डाली है ।भारतीय जनता पार्टी के दुष्प्रचार वादी नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि चीन से चंदा लेने के स्पष्ट प्रमाण होने के बाद वह विदेश मंत्री और अजीत डोभाल जी को किस कैटेगरी में रखते हैं ? सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र में काम करने वाली हजारों संस्थाओं को भारत में विदेशी संस्थाओं से चंदा एवं दान प्राप्त होता है जिसकी जानकारी भारत सरकार के पास हमेशा रहती है। भाजपा को जवाब देना चाहिए कि 15 साल तक उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदा देने की बात क्यों नहीं उठाई ? क्या वे इस बात का इंतजार कर रहे थे कि जब चीन में हमारे निर्दोष सैनिक शहीद होंगे तब इस जानकारी का दुरुपयोग कांग्रेस के खिलाफ किया जाएगा? भारतीय जनता पार्टी समर्थित कई संस्थाओं ने जो चंदा चीनी संस्थाओं से लिया है, उसे सरकार स्वयं सार्वजनिक क्यों नहीं करती? यह सवाल अभी भी यथावत रहेगा कि जब चीनी सैनिक हमारी सीमा में घुसे ही नहीं तो हमारे सैनिक कैसे शहीद हुए ? भाजपा को अपना मौन इस मुद्दे पर तोड़ना ही होगा। श्रीमान संपादक महोदय स सम्मान प्रकाशनार्थ भूपेंद्र गुप्ता उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश कांग्रेस, मीडिया विभाग


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