पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा का जो बेड़ा गर्क किया गया है उसे कोरी बयानबाजी से सुधारा नहीं जा सकता
पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा का जो बेड़ा गर्क किया गया है उसे कोरी बयानबाजी से सुधारा नहीं जा सकता प्रदेश के 4500 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। वे भगवान भरोसे चल रहीं हैं, और सरकार इस प्रदेश को देश में शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श राज्य बनाना चाहती है। प्रदेश के 13000 स्कूल बंद किए जाने की योजना प्रचलित है। पिछले 15 वर्षों में प्रदेश की प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा का जो बेड़ा गर्क किया गया है उसे कोरी बयानबाजी से सुधारा नहीं जा सकता। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने शिवराज सिंह से मांग की है कि वे प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र की वास्तविकता से अवगत कराएं |इतनी बड़ी मात्रा में स्कूल बंद करने का उद्देश्य कहीं स्कूल परिसरों को निजी हाथों में सौंपने का तो नहीं है?
गुप्ता ने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने वाली है।यह गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली सिद्ध होगी ।
एक ही परिसर में एक से अधिक कोर्सेज चलाने की अनुमति देने का सोच निजी शिक्षा संस्थानों को थोक बंद डिग्रियां बांटने की दूकान ना बना दे अन्यथा जो नुकसान प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को व्यापम के कारण हुआ है वह शिक्षा को और रसातल में ले जायेगा।एम फिल समाप्त करने से पीएच डी की गुणवत्ता को उठाने के लिये क्या वैकल्पिक रणनीति होगी इसका खुलासा होना चाहिये। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इसे लागू करने के पहले इसके सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें।