सच को सच झूठ को झूठ लिखता हूं इसलिए लोगों को मैं बुरा लगता हूं
ग्राम पंचायत भवन एवं सीसी रोड में हो रहा है गोलमाल बसवा बजरी मिट्टी से बनाया जा रहा है सीसी रोड ठेका पद्धति से बनाया जा रहा है ग्राम पंचायत भवन एवं सीसी रोड सीमेंट नाम मात्र का देसावाडी शब्द पावर वैसे तो पंचायती राज में भ्रष्टाचारी शब्द कोई नया नहीं है..... वह भी खासतौर से बैतूल जिले के पंचायती राज के कुछ अलग ही अंदाज है..... जहां पंचायती राज शासन की योजनाएं लागू हो और पंचायती राज के कार्य में बंदरबांट ना हो ऐसा कभी देखने और सुनने को मिलता है..... ऐसा ही एक मामला लेकर आए हैं बैतूल जिला शाहपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत देशावाड़ी में इस वक्त धड़ल्ले से चल रहा है..... सीसी रोड का कार्य एवं ग्राम पंचायत भवन साथ ही मॉडल स्कूल का भवन बड़ा ही अजीब लगता है तब जब मीडिया कर्मी को पंचायती राज के अधिकारियों को छोड़ किसी छूट भैया तूच टाइप के अपने आप को नेता मानने वाले या यह समझने वाले व्यक्ति का फोन आता है, और कहा जाता है कि पंचायती राज के कर्मचारियों को पेट और परिवार है भाई..... पंचायती राज प्रशासन का कार्य चल रहा है..... कुछ ना कुछ उन्नीस, बीस तो चलेगा ही इसमें परेशान एवं हलकान होने की आवश्यकता नहीं है..... सभी पंचायती राज के सक्षम अधिकारियों को इस बात का संज्ञान है 300 मीटर सीसी रोड पंचायत भवन या मॉडल स्कूल का कार्य चल रहा है..... लाल ईट लगाई है या फ्लाई एक्स रेता की जगह बसवा, बजरी, लाल मिट्टी, सीमेंट नाम मात्र का यह सब चलता है.....? कोई जिला पंचायत सदस्य है तो कोई सरपंच कुछ नगर के नेता है तो कोई ग्राम का इन दिनों पता नहीं ऐसी कौन सी ऐसी हवा चल रही है..... पंचायती राज के सक्षम अधिकारी मौन छूट भैया नेताओं का बोलबाला चल रहा है..... सचिव एवं सरपंच चांदी ही चांदी काट रहे हैं..... शायद लगता है पंचायती राज में सक्षम अधिकारियों को सिर्फ और सिर्फ माह की पगार लेने के लिए बैठा दिया गया है..... कोई अधिकारी कहता है कि भाई हम नए हैं.....? कोई सक्षम अधिकारी कहता है कि भाई सबको लेकर चलना पड़ता है.....? कोई अधिकारी का कहना है कि किस-किस को बाटेंगे पैसा......? कोई अधिकारी कहता है कि अभी पंचायती राज में कोई पैसे का पेड़ नहीं लगा है.....? इतना पैसा कहां से लाएंगे...? उन्नीस बीस तो चलता ही रहता है.....? यह पंचायती राज है जिला प्रशासन भी शांत बैठा हुआ है..... कोरोना महामारी ने अधिकारियों को व्यस्त कर रखा है...... अच्छा बहाना मिला इस बार प्रशासनिक अधिकारियों को..... पंचायती चुनाव के लेटलतीफी के चलते कुछ आधे अधूरे लोगों को प्रधान पद पर बैठा दिया गया है...... कुछ सरपंच 40 धारा में निपट चुके हैं...? फिर भी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर ग्राम पंचायत सचिव एवं सरपंच नादान और मौसम की तरह नजर आते हैं या दिखाई देते हैं.....?