जब एक पाकिस्तान ऊंटवाला अमरीका में बना "हिज़ एक्सीलेंसी'

य_बात मई 1961 की है.अमरीका क उप-राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन पाकिस्तान की तत्कालीन राजधानी कराची में उतर और खुली लिमोज़ीन कार में राष्ट्रपति अय्यूब खान क साथ सवार होकर सरकारी गस्ट हाउस की तरफ रवाना हुए.सड़क क दोनों तरफ़ खड़ी जनता को पाकिस्तान और अमरीका क झंड ज़ोर-ज़ोर स हिलान क लिए थमा दिए गए था इसी हुजूम में एक ऊँट गाड़ी चालक बशीर अहमद भी था. जॉनसन की नज़र पहल ऊँट पर पड़ी, फिर ऊँट गाड़ी पर और फिर ऊँट चालक पर.जॉनसन अपनी लिमोजीन स उतर ऊँट की गर्दन पर हाथ फरा और बशीर अहमद स-हाथ मिलात हुए कहा, "कभी अमरीका आओ तो मैं तुम्हें सैर कराऊंगा."बशीर अहमद न झट सन्योता स्वीकार कर लिया. पाकिस्तानी पत्रिकाओं में हडलाइन बन गई. बात आई, गई हो गई. मगर कहां साहब.15 अक्टूबर 1961 को बशीर सारवान न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पर उतर उपराष्ट्रपति जॉनसन नअतिथि का स्वागत किया. बशीर अहमद का अमरीका दौरा टाइम मैगज़ीन न लिखा, कराकुली टोपी और शरवानी पहन और मुख पर पाँच सौ वॉट की मुस्कान सजाए बशीर ऊँट चालक न पत्रकारों और उनकट कैमरों का सामना एक मुगल शहज़ादा की आनबान क साथ किया.जॉनसन न अपन मइमान स पूछा, "आपको, यहां का मौसम ठंडा तो नहीं लग रहा है." महमान न कहा, "ठंड-वंड क्या होती है भाई साहब, सिर्फ एहसास में गर्मी होनी चाहिए."जॉनसन और बशीर अहमद कबीच अगर कोई था तो वो था अनुवादक जो अंग्रज़ी स उर्दू और उर्दू स अंग्राज़ी में तर्जुमा करता जा रहा था.बशीर अहमद को अर्कंसास सिटी ल जाया गया जहां उनकी भूतपूर्व राष्ट्रपति हैरी एस द्रूमैन स मुलाकात हुई.दूमैन, बशीर अहमद को सारा वक़्त 'हिज़