मनरेगा के तहत आथिक.विकास को ठेंगा दिखा रही पंचायती राज व्यवस्था 

मनरेगा के तहत आथिक.विकास को ठेंगा दिखा रही पंचायती राज व्यवस्था
 अलीराजपुर-  मध्यप्रदेश शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कॉरोना वायरस के कारण प्रभावित श्रमिकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 20 अप्रैल 2020 से ग्राम पंचायतों के माध्यम से मनरेगा योजना के अंतर्गत जल संरक्षण एवं जल सरक्षणं की गतिविधियां शुरू करने के निर्देश जारी किए गए थे परंतु जिले में कुल 288 ग्राम पंचायतों में से मात्र 98 ग्राम पंचायतों में काम शुरू  किए गए हैं जो भी कोई ग्राम पंचायतों का 34% है शेष  190 ग्राम पंचायतों में काम.शुरू नहीं करवाए गए हैं जिला पंचायत के अनुसार पूरे जिले की ग्राम पंचायतों में 15469 कार्य स्वीकृत किए गए हैं जिसको यदि पंचायतों में बांटा जाए तो प्रति पंचायत करीब 54 काम स्वीकृत है । आज दिनांक तक जिले में 2219 मजदूर काम कर रहे हैं यदि कुल काम कर.रही पंचायतों में इसको विभाजित किया जाए तो 23 मजदूर प्रति पंचायत काम कर रहे हैं । जबकि जिले में कुल 544 गांव हैं ऐसी स्थिति में कार्य करें मजदूरों की स्थिति एवं शासन द्वारा दिए जा रहे रोजगार की स्थिति विचारनीय  है । 98 ग्राम पंचायतों में 372 मास्टर जारी हुए हैं जिसको यदि बांटा जाए तो चार मास्टर प्रति पंचायत जारी हुए हैं ऐसी स्थिति में जब जिले में भारी संख्या में आदिवासी मजदूर होली के पूर्व गांव में आए हुए थे और लगातार मजदूरों का जिले में आना बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन को यह चुनौती है कि इनके लिए वह काम की यवस्था करें परंतु लगता है कि ग्राम पंचायत इन कार्यों में रुचि नहीं रही है जिसको पंचायत चुनाव की तिथि बदलने से भी जोड़ा जा रहा है और संभावना है कि पंचायतें ऐसे काम को प्राथमिकता देना चाहती है जिसमें सामग्री एवं मशीनों का उपयोग हो जिससे उनके हित. सधने लगे  । देखना है  आने वाले समय में  जिला प्रशासन  किस प्रकार गरीब आदिवासियों को मजदूरी के कामों से जोड़कर  उनको  अपने पेट पालने में मदद  दिलाएगा ।  वर्तमान तक  जिले में  रोजगार से जूझ रहे  मजदूरों की स्थिति  चिंता जनक है  । जनपद पंचायतो द्वारा  और जिला पंचायत द्वारा लगातार प्रयास बढ़ाने होंगे तभी लोगों को  मजदूरी के काम मिल पाएंगे  । गरीब आदिवासियों के पास पैसा पहुंचने पर ही  गांव से जुड़े गश शहरों में आर्थिक गतिविधियां शुरू हो पाएगी वैसे भी  जिले में खेती और मजदूरी ही लोगों की आय का मुख्य जरिया है और  इसी से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था चल रही है  लगता है  । देखना है.जिला प्रशासन  आने वाले दिनों मे.किस.तरह पहल करके  गरीब परिवार के हाथों को काम उपलब्ध करवा पाएगा  । यह तो समय बताएगा ।


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