ताहिर हुसैन को लेकर जावेद अख़्तर क्यों हुए ट्रोल?


गीतकार जावेद अख़्तर शुक्रवार को सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए और वजह रही दिल्ली हिंसा को लेकर किया गया उनका एक ट्वीट. राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्व के कई इलाक़ों में पिछले दिनों हुई हिंसा में कम से कम 39 लोगों की मौत हुई और बड़ी तादाद में लोग घायल हुए हैं. इस हिंसा में दिल्ली पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. जावेद अख़्तर ने भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए और ट्वीट किया था, "कई मारे गए, कई सारे घायल हुए, कई घर जला दिए गए, कई दुकानें लूटी गई. कई लोगों को नुकसान हुआ लेकिन पुलिस ने केवल एक घर सील किया और उसके मालिक को ढूंढ रही है. संयोगवश उसका नाम ताहिर हुसैन है, दिल्ली पुलिस की कंसिस्टेंसी को सलाम है."लेकिन जावेद अख़्तर का ये ट्वीट 13 हज़ार से अधिक बार रीट्वीट हुआ है और ऐसे लोगों की संख्या भी काफ़ी अधिक है, जिन्होंने जावेद अख्तर को ट्रोल करते हुए उन्हें 'गद्दार' और 'कट्टरपंथी' बताया है. कई लोगों ने उनके इस ट्वीट को समाज में नफ़रत फैलाने और लोगों को भड़काने वाला क़रार दिया और दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. @rajnish1Midas हैंडल से ट्वीट किया गया, "दिल्ली पुलिस आप जावेद अख्तर की टाइमलाइन देखिए. पिछले कई महीनों से वे लोगों को अपने ट्वीट्स से भड़का रहे हैं. ट्विटर को भी उन्हें दिए ब्लूटिक की समीक्षा करनी चाहिए." अरविंद कुमार तिवारी ने लिखा कि हमें गुंडों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसे विश्व समुदाय करता है.कितना आश्चर्य है जब पूरा विश्व खुले तौर पर इनके प्रति डर ,असहज रखता है तब भी हम इन्हें अपना समझते है लेकिन अगर किसी गुंडे ,दंगाई को देश की पुलिस साक्ष्यो के साथ चिन्हित करती है तो ये देश का नहीं उस गुंडे का साथ देते है तो हमे भी विश्व समुदाय की तरह व्यवहार करना चाहिए ज़ाकिर अली त्यागी ने भी पुलिस की एकतरफा कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए जावेद अख्तर का समर्थन किया है.दिल्ली पुलिस की क्रोनोलॉजी समझिए जब कपिल मिश्रा,अनुराग ठाकुर,प्रवेश वर्मा पर एफआईआर दर्ज होने से माहौल बिगड़ सकता है,तो क्या ताहिर हुसैन पर एफआईआर दर्ज होने से माहौल शांत होगा?सीधा कहिए @DelhiPolice की मुस्लिम नाम ही काफ़ी है यदि वह सिर्फ आरोपी होगा तो मीडिया सज़ा सुना देगी। दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान खुफ़िया विभाग के अंकित शर्मा की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद ताहिर हुसैन के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, दिल्ली पुलिस ने अंकित शर्मा के पिता की शिकायत के आधार पर एफ़आईआर दर्ज की है. 26 फ़रवरी को अंकित की लाश हिंसाग्रस्त इलाक़े चांदबाग़ के एक नाले से निकाली गई थी. ताहिर हुसैन पर उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर इलाके में हुए दंगों में शामिल रहने के आरोप लग रहे हैं. ताहिर हुसैन नेहरू विहार इलाके से आप के पार्षद हैं और उनके क़रीबी लोगों पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे


इन आरोपों के बाद ताहिर हुसैन को आम आदमी पार्टी ने फ़िलहाल निलंबित कर दिया है. हालाँकि ताहिर हुसैन ने उनके खिलाफ़ लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. उनका कहना है कि वो तो खुद दंगे के शिकार हुए हैं. वायरल हो रहे वीडियो में पीछे खड़े कुछ लोग ताहिर हुसैन के घर की छत से पत्थर फेंकते भी दिख रहे हैं. मगर ताहिर हुसैन दावा करते हैं कि वह "दंगा नहीं फैला रहे थे. बल्कि दंगाइयों को रोक रहे थे." बीबीसी से उन्होंने कहा, "ये सरासर ग़लत है. उस वीडियो में मैं दंगाइयों को रोकने का काम कर रहा हूं, दंगाइयों को वहां से भगा रहा हूं. मैंने उन्हें डंडे मारकर नीचे भगाया." "उस वीडियो में मैं लगातर फ़ोन पर बात करता दिख रहा हूं. मैं पुलिस से मदद मांग रहा था. मेरे जितने जानने वाले थे, मैं जितनों को फ़ोन कर सकता था, मैंने किया. आप वीडियो में देख सकते हैं कि हर जगह धुआं-धुआं हो रहा है. सिर्फ मेरी छत ही ऐसी जगह थी जहां धुआं नहीं था."


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