भोपाल । आज का दैनिक भास्कर पढ़ा जिसमें छपा था कि वकील ने एक जज से कहा आपको कोरोना हो जए, आपका करियर बर्बाद हो जाये विश्वास नहीं होता कि ये वाक्य किसी वकील का किसी जज के प्रति है वो भी हाईकोट के वकील का वो भी इस बात के लिये कि जज ने वकील के पक्षकार के फेवर में फैसला नहीं किया। मै भी पेशे से वकील हूँ परंतु मुझे किसी जज के प्रति किसी वकील के ऐसे आचरण से मुझे ऐतराज है हम और हमारा समाज किस दिशा की ओर जा रहे हैं।
पुरी दनिया में न्यायपालिका का स्थान अपने आप में अलग महत्व रखता है और भारत की न्याय पालिका तो विश्व की सबसे बड़ी न्यायपालिका है और किसी भी न्याय पालिका की गरीमा वहां काम करने वाले लोगों से जुड़ी होती है चाहे न्यायपालिका का कोई कर्मचारी हो अधिवक्ता हो या फिर न्यायाधिश हो।
मेरा एक सवाल है सभी भारतीय लोगों से क्या इस तरह का कृत्य एक सम्य समाज के लिये उचित है? क्या किसी भी वकील को किसी जज के प्रति इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना चाहिये ? मै तो कहता हूँ कि किसी वकील को किसी जज के प्रति ही क्यों किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति के लिये इस तरह कि भाषा का प्रयोग करना चाहिये ? क्या वकील साहब को मान. न्यायाधीश महोदय से माफी नहीं मांगना चाहिये ?
मै ऐसा मानता हूँ कि अगर हमें एक अच्छे और सभ्य समाज का निर्माण करना है तो किसी को भी किसी भी व्यक्ति के प्रति ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिये ये एक सम्य समाज में सम्य व्यक्ति के द्वारा सही भाषा का प्रयोग नहीं हैं, चंकि समाज में हम अधिवक्ताओं को सम्य व्यक्ति का दर्जा प्राप्त हैं कम से कम हमें अपनी गरीमा का तो ध्यान रखना चाहिये वकील साहब के ऐसे कृत्य को लेकर मै आपत्ति दर्ज करता हूँ मैं ऑल इंडिया बार काउंसील को पत्र लिखकर यह मांग करूंगा कि बार काउंसिल वकील साहब को पत्र लिखकर आदेशित करे कि वकील साहब माननीय न्यायाधीश महोदय से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और मै यह भी मांग करूंगा कि ऑल इंडिया बार काउंसील वकील साहब को पत्र लिखकर यह भी आदेशित करे कि अगर भविष्य में वकील साहब इस तरह का कृत्य दोबारा किसी न्यायाधीश महोदय के साथ करें तो उनकी सनद निरस्त कर दी जायेगी