कोरोना जैसी आपदा के लिये निश्चित ही सारा देश एक साथ है और लगभग सभी लॉक आउट मे सहयोग कर रहे हैं।
किन्तु दो तीन प्रश्न अति अनिवार्य और महत्वपूर्ण है ।
1, क्या लॉक आउट जो 22 मार्च से पुरे देश में लागू किया गया है ।इससे गरीब,मजदूर अपने जिले प्रदेश से रोजी कमाने गये लोगों की स्तिथि को भी ध्यान में रखते और उन्हें 5, 6 दिन का समय देते अपने अपने घर वापसी का वो भी ये फरवरी माह में तो गरीब मजदूर इतने संकट में नहीं आते लगता है बीमारी से ज्यादा भूख और तनाव अभाव में मारे जायेगें ।
2, pm जो आज कर रहे हैं वो फरवरी माह के शुरु में कर लेते ।वो भी विदेश से आने वाले समस्त लोगों की इमानदारी व कठोरता से जांच व उपचार करके ।तो ये वायरस फैलता ही नहीं ।किन्तु मोदी जी और पूरी टीम ट्रम्प के स्वागत सरकार गिराने बनाने में ही लगी रही ।
3, जैसे नोट बन्दी के समय अचानक घोषणा कर नोटों को बन्द कर दिया गया आम जनता,छोटे उध्योग धन्धे मजदूर सब का दिवला निकाल दिया गया ।आज भी लोग नोट बन्दी से उबरे नहीं है ।
देश का कितना नुक्सान हुआ हम सभी जानते है ।
बेन्कों से कर्ज लेकर इनके सामने से आराम से विदेश चले गये और आज तक उनकों भारत नहीं लाया जा सका और भविष्य में सम्भावना भी कम है।
धीरे राष्ट्र को फालतू के मुद्दों में उलझकर मुल मुद्दों को भुला कर जनता को भावनात्मक छला जा रहा है और बेचारे भक्त गण भी कुछ समझ नहीं रहें हैं।
भाईयों आलोचना से ऊपर उठ कर एक बात जो बहुत गम्भीर है वो ये की उन्नत दृष्टिकोण का अभाव व तानाशाही पुर्ण रवैया सदैव हानि कारक होता है ।हम सब इस पर चिंतन करें हमारी आने वाली पीढ़ी को हम क्या दे पायेगें वो हमें माफ नहीं करेगी ।मोदी जी का तो स्पस्ट कहना है मैं तो थैली उठा के चल दूंगा ये देश हम सब का है
निष्पक्ष व सकारात्मक सोचेगें तभी सार्थक होगा ।
जय भारत
कोरोना जैसी आपदा के लिये निश्चित ही सारा देश एक साथ है और लगभग सभी लॉक आउट मे सहयोग कर रहे हैं।- भगवान जावरे