कोरोना वायरस: कोरोना वायरस फैलने के पीछे चीन का षड्यंत्र होने की थ्योरी भारत के पूरे मेनस्ट्रीम न्यूज़ मीडिया में जमकर चल रही है. भारतीय मीडिया के निशाने पर चीन क्यों?


कोरोना वायरस के दुनिया भर में फैलने और एक महामारी की शक्ल लेने के बाद से भारतीय मीडिया चीन को इसके लिए उत्तरदायी ठहरा रहा है. कोरोना को रोकने के लिए भारत सरकार ने देश भर में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू कर दिया है. ऐसे में भारतीय मीडिया का एक बड़ा तबका चीन पर आरोप लगा रहा है उसने जानबूझकर इस वायरस को तैयार किया और फैलाया है. भारतीय मीडिया में डब्ल्यूएचओ की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं..


चीनी षड्यंत्र की थ्योरी कई नागरिक ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स पर कोरोना फैलने के लिए चीन को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. कोरोना चीन की चाल है, ये थ्योरी हाल तक ब्लॉग्स, सोशल मीडिया पोस्ट्स और कुछ सनसनीखेज़ टीवी चैनलों तक ही सीमित थी. लेकिन, अब इस पर कुछ मेनस्ट्रीम भारतीय मीडिया में भी चर्चा हो रही है. इन मीडिया प्लेटफॉर्स पर पूछा जा रहा है कि कोरोना वायरस कहीं चीनी जैविक हथियार प्रोजक्ट का नतीजा तो नहीं है.चीन के खिलाफ़ आरोप भारत सरकार कोरोना वायरस को रोकने के तरीकों को लेकर चीन के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है, लेकिन देश के कई प्रभावशाली मीडिया आउटलेट्स अब इस महामारी के लिए चीन की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं.


जानबूझकर की गई लापरवाही प्रमुख सिक्योरिटी और स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एनालिस्ट नितिन ए गोखले ने लिखा है कि वायरस के फैलने से चीनी अधिकारियों की साफ़ तौर पर एक जानबूझकर की गई नज़रअंदाजी जाहिर होती है. उन्होंने पूरी दुनिया को जोखिम में डाल दिया है. गोखले कहते हैं कि दुनिया को चीन की जवाबदेही तय करनी चाहिए. पूरी दुनिया में चीनी वायरस का फैलाव और इसके कहर को देखते हुए इसे मानवता के खिलाफ़ अपराध माना जा सकता है.


संकट के जरिए कमाई अंग्रेजी भाषा के एक प्रमुख न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे के एंकर शिव अरूर ने चीन पर वायरस तैयार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अब चीन दूसरे मुल्कों को दवाइयां और पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) बेचकर पैसे कमा रहा है.


डब्ल्यूएचओ पर भी चीन से मिले होने के आरोप भारत सरकार या सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कोरोना वायरस के लिए चीन पर कोई आरोप नहीं लगाया है, लेकिन बीजेपी के एक सहयोगी संगठन ने हालात को ख़राब बनाने में चीन और डब्ल्यूएचओ के आपस में मिले होने का आरोप लगाया है. स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को तुरंत इस वायरस का नाम चाइना वायरस रख देना चाहिए. एसजेएम बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को आर्थिक मसलों पर सलाह देती है.


चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव पर भी सवाल महाजन ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) की इस वायरस के फैलने में भूमिका की ग्लोबल इनवेस्टिगेशन की भी मांग की. उन्होंने कहा कि यह वायरस उन देशों में लोगों को बड़े पैमाने पर मार रहा है जो चीन के बीआरआई पार्टनर हैं. इनमें ईरान और इटली जैसे देश शामिल हैं.


भारत के कई एक्सपर्ट भी डब्ल्यूएचओ की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. एक प्रभावशाली स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एक्सपर्ट समीर सरन ने एक टिप्पणी में लिखा है कि डब्ल्यूएचओ ने सुस्ती भरे तरीके से इस संकट पर अपना रेस्पॉन्स किया. चीन पर प्रोपेगैंडा कैंपेन के आरोप वायरस के फैलने के बाद से भारत के कई कमेंटेटर्स और मीडिया आउटलेट्स ने आरोप लगाया है कि चीन अब झूठ बोलकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है. प्रमुख स्ट्रैटिजिक अफेयर्स एक्सपर्ट ब्रह्मा चेल्लानी ने अंग्रेजी न्यूज़ मैगजीन ओपेन में लिखा है कि चीन अब पूरी दुनिया में एक ग्लोबल लीडर के तौर पर अपनी रीधैंडिंग करने की आक्रामक तरीके से कोशिश कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस मशीनरी का एक हिस्सा उस प्रोग्राम से जुड़ा हुआ है जिसे चीन ने 2016 में शुरू किया था. इसके तहत चीन विदेशी पत्रकारों को 10 महीने की ट्रेनिंग देता है. इस कार्यक्रम के तहत कई विदेशी पत्रकार गुज़रे कुछ सालों में चीन जा चुके हैं.


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