पूछा जा रहा है कि जब सालों से सरकारी पीएम रिलीफ फंड या प्रधानमंत्री राहत कोष मौजूद है तो फिर एक नए फंड कि ज़रूरत क्यों आन पड़ी? कई लोग नए कोष यानी पीएम केयर को 'घोटाला' करार दे रहे हैं तो कुछ जगहों पर कहा जा रहा है कि नया फंड इसलिए बनाया गया क्योंकि शायद ये नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक या कैग की परिधि से बाहर होगा जिसकी वजह से कोष से किए गए खर्च और उनके इस्तेमाल पर किसी की नज़र नहीं रहेगी.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं कांग्रेस सासंद शशि थरूर ने पूछा है कि प्रधानमंत्री की कैची शब्दावली को लेकर खास दिलचस्पी को देखते हुए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या पीएमएनआरएफ का नाम बदलकर पीएम-केयर किया जा सकता था. लेकिन एक नए ट्रस्ट की शुरुआत की गई है जिसके नियमों और खर्चों को लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं है. जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने इसे राष्ट्रीय आपदा के समय भी एक व्यक्ति विशेष की लहर बनाने की कोशिश जैसा बताया है. इस असाधारण क़दम के लिए आपको जनता को जवाब देना चाहिए. साकते गोखले ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री राहत कोष में अभी भी 3800 करोड़ रुपये मौजूद हैं और उन्होंने आरटीआई के ज़रिये
प्रधानमंत्री का ट्वीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ट्वीट के ज़रिये अपील करके कहा कि कोविद-19 जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) की स्थापना की जा रही है और लोग उसमें दान करें.
मगर जहां एक तरफ़ फंड पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं फिल्म और उद्योग जगत से जुड़ी शख्सियतों और आम लोग बढ़ चढ़कर पीएमपीएम-केयर में दान दे रहे हैं. अभिनेता अक्षय कुमार ने इस फंड में 25 करोड़ रुपयों का दान दिया है. तो उद्योगपति गौतम अडानी की तरफ से दान राशि 100 करोड़ रुपये हैं.
पीएम-केयर फंड हिंदुस्तान टाइम्स की एडिटर सोनल कालरा ने लिखा है कि उनके घर के कामों में मदद करने वाली सोनिया ने फंड में हज़ार रुपये का दान दिया है. पद्मजा ने शशि थरूर से पूछा है कि अगर फंड का अकाउंट पारदर्शी है तो किसी को क्या दिक्कत है. पीएम-केयर फंड सुनने में अच्छा लगता है और लोग इसमें योगदान दे रहे हैं. वो आगे कहती हैं कि कांग्रेस जल से बाहर हो गई मछली की तरह तड़प रही है क्योंकि पीएम की अपील पर लोग आगे बढ़कर दान दे रहे हैं.