सिंधिया का भाजपा में जाना किसके लिये ज्यादा फायदामंद रहा ? भाजपा के लिये,उनके समर्थकों के लिये या फिर स्वयं सिंधिया जी के लिये ? - दिनेश साहू /लेखक दैनिक रोजगार के पल के प्रधान संपादक है

भोपाल - म.प्र. में कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ महिने बाद से ही सिंधिया समर्थकों एवं स्वयं सिंधिया जी के द्वारा सरकार की बुराई करना सरकार के खिलाफ बयान बाजियां करना, कई मामलों में अपने ही सरकार को कटघड़े में खड़े करने के अध्याय का खुद सिंधिया ने ही कल कांग्रेस से इस्तिफा देकर एवं आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर पटाक्षेप कर दियासिंधिया के अपने ही पार्टी के सरकार के खिलाफ बदले हुये तेवर के पार्टी के नेताओं और मिडिया के द्वारा तरह तरह के लगाये जा रहे कयासों का समापन आखिरकार हो ही गया


अब बात खत्म हो जाती है कि सिंधिया और उनके समर्थक अपने ही सरकार के मुख्यमंत्री से या अपने पार्टी के बड़े नेताओं से क्यों नाराज चल रहे थे? अब बात खत्म हो जाती है कि सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद उनके समर्थक मंत्री,विधायकों एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं में कौन उनके साथ जायेगा और कौन अपनी पार्टी के सरकार के साथ रहेगा ?


अब सवाल इस बात का है कि जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्याता ले ही ली है तो दिसम्बर 2018 से मार्च2020 तक उन्होंने काफी सोच समझकर काफी अध्ययन करके ही ये फैसला लिया होगा


अब बात ये आती है कि सिंधिया के भाजपा में जाने से किसे कितना फायदा होगा जहां एक ओर कांग्रेस में सिंधिया को सभी मामलों में राहुल गांधी के बाद का दर्जा प्राप्त था, राहुल हमेशा से ही सिंधिया को अपने करीब रखते थे यहां तक की कांग्रेस के केंद्र की सरकार में सिंधिया को दो बार केंद्रिय मंत्री भी बनाया गया था अब क्या मोदी और अमित शाह सिंधिया


को अपने साथ रखेंगे अपने बराबर का दर्जा देंगे या फिर सिंधिया का फायदा उठाकर उसके साथ भी वहीं करेंगे जो दुसरे पार्टी से आये नेताओं के साथ करते आये हैं अब देखते है कि भाजपा को, सिंधिया समर्थकों को या फिर स्वयं सिंधिया को कितना फायदा होगा कुल मिलाकर कौन फायदे में रहेगा और कौन नुकसान में इस सवाल का जवाब अभी तक सामने नहीं आया है आईये हम सभी इस सवाल का जवाब तलाशने का प्रयास करते है मेरा तो आकलन कहता है सिर्फ और सिर्फ भाजपा को


सबसे पहले हम भाजपा की बात करते हैं - सिंधिया के इस्तिफा देने से सबसे पहले तो सिंधिया भाजपा के हो गये फिर जहां जहां तक सिंधिया के समर्थक है सारा गड़ भाजपा को हो गया जितने समर्थक सिंधिया के साथ जाते हैं सब भाजपा के हो गये उसके बाद भाजपा पहला प्रयास करेगी कि सिंधिया समर्थक सारे मंत्रियों और विधायकों का इस्तिफा दिलवाकर फलोर टेस्ट करवायेगी और पूरा प्रयास करेगी कि म.प्र. में भाजपा की सरकार बन जाये शायद भाजपा अपने इस मंसूबे में कामयाब भी हो जाये और इसके बाद म.प्र. से खाली होने वाले तीन राज्यसभा सदस्यों की सीट में से दो पर पुरी तरह कब्जा जमाने का प्रयास करेगी और शायद इसमें भी भाजपा कामयाब हो जाये


अब हम स्वयं सिंधिया की बात करते हैं - अगर बात सिंधिया कि है तो भाजपा सिंधिया को मुख्यमंत्री तो बनाने वाली नहीं है और ना ही प्रदेश अध्यक्ष भाजपा ने सिंधिया से राज्य सभा सदस्य बनाने और केंद्रीय मंत्री बनाने का वादा किया है जो कि अभी सिर्फ वादा ही है बनाने का समय तो तब आयेगा जब सिंधिया राज्य सभा का चुनाव जीत जायेगें। परंतु इससे सिंधिया को विशेष कुछ फायदा होने वाला नहीं है क्योंकि सिंधिया कांग्रेस से 2001 के बाद से ही सांसद रहे हैं और कांग्रेस की केंद्र सरकार में दो बार मंत्री भी रहे हैं उनके लिये पहले से ज्यादा बढकर कुछ भी मोदी जी नहीं देने वाले है।


अब हम सिंधिया समर्थकों की बात करते हैं - अगर हम बात करें सिंधिया समर्थकों की तो समर्थकों के लिये भाजपा से सिंधिया की क्या बात हुई है ये तो समर्थक भी नहीं जानते हैं, केवल सिंधिया जी ही जानते हैं परंतु मेरा आकलन ये कहता है कि सिंधिया की भाजपा से समर्थकों के लिये जो भी डिल हुई है भाजपा के परंपरा अनुसार वो समर्थकों को मिलने वाला नहीं है ये सिंधिया समर्थक और स्वयं सिंधिया खुद भी जानते हैं। क्योंकि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती भी है तो भाजपा के मंत्री बनने के लिये पार्टी में ही इतने दावेदार हैं कि सिंधिया को वादानुसार भाजपा समर्थकों को कुछ भी नहीं दे पायेगी


तो फिर सवाल ये बनता है कि क्या सिंधिया केवल भाजपा का फायदा करने के लिये और प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने के लिये भाजपा में शामिल हुये हैं या फिर स्वयं का फायदाकरने के लिये मेरा तो आकलन कहता है कि सिंधिया ने अपने एवं अपने समर्थकों के लिये सिर्फ घाटे का सौदा किया है और कुछ नहीं इस सौदे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सिर्फ और सिर्फ भाजपा को ही फायदा होने वाला है और किसी का भी नहीं


 


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