सुबह रिज़र्व बैंक की तरफ़ से हुए इस एलान का सीधा असर ये होगा कि बैंकिंग व्यवस्था में तीन लाख 74 हजार करोड़ रुपए की नकदी निकल आएगी. बाज़ार में या इकोनॉमी में इस्तेमाल के लिए.

 



साफ़ है कि सरकार अब कोरोना संकट से मुकाबले के लिए कई मोर्चों पर एक साथ लग गई है. वित्तमंत्री ने गरीबों के लिए राहत का एलान किया और एक रात इंतजार के बाद रिज़र्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने वो एलान कर दिया जिसकी मांग भी चल रही थी और जिसका इंतज़ार भी हो रहा था. रेपो रेट या रिज़र्व बैंक जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है उसे 0.75% घटाकर 4.4% कर दिया गया है. लेकिन रिवर्स रेपो यानी जब बैंक रिज़र्व बैंक के पास पैसा रखते हैं तो उन्हें जिस रेट से ब्याज़ मिलता है उसमें 0.90% की कटौती की गई है और यह अब 4% हो गया है. इसी तरह बैंकों को अपने पास नक़द रकम रखने की पाबंदी यानी कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) भी पूरे एक परसेंट घटाकर तीन परसेंट कर दिया गया है. शुक्रवार की सुबह रिज़र्व बैंक की तरफ़ से हुए इस एलान का सीधा असर ये होगा कि बैंकिंग व्यवस्था में तीन लाख 74 हजार करोड़ रुपए की नकदी निकल आएगी. बाज़ार में या इकोनॉमी में इस्तेमाल के लिए. इसका स्वागत करते हुए सीआईआई के डीजी चंद्रजीत बनर्जी ने भी कहा है कि रेपो और रिवर्स रेपो रेट में अंतर बढ़ने का फ़ायदा होगा कि बैंकों को अब अपना पैसा रिज़र्व बैंक के पास पड़ा रहने देने या पार्क करने में फायदा नहीं दिखेगा. यानी उन्हें साफ़ उम्मीद है कि इन घोषणाओं का फायदा होगा. इस वक़्त ये क़दम उठने और उद्योगपतियों व्यापारियों के मन में भरोसा जगाना बेहद जरूरी था क्योंकि इससे कुछ ही घंटे पहले दुनिया दुनिया की सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक मूडीज़ ने भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 2.5% कर दिया है. इससे सिर्फ 17 दिन पहले ही मूडीज़ ने ये रेट घटाकर 5.3% किया था. साफ़ है कि पहले से पस्त पड़ी अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना का संकट कोढ़ में खाज की तरह आया है. इससे निपटने के लिए सरकार और रिज़र्व बैंक जो भी करें कम ही है. कितना असरदार होगा क़दम जब तक सब कुछ पटरी पर लौटता न दिखे, ये कहना भी मुश्किल है कि किस क़दम का कितना असर होगा. रिज़र्व बैंक का भी कहना है कि इस साल की आखिरी तिमाही और अगले पूरे साल ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका है. बाज़ार में मांग कमज़ोर होने का डर है और आगे का भविष्य अनिश्चित और अंधकार में (निगेटिव) दिख रहा है. बैंक की तरफ़ से दूसरा एलान आम आदमी के लिए बहुत बड़ा है. लाखों परिवारों और करोड़ों लोगों को इससे राहत मिल सकती है. आरबीआई ने बैंकों को ये छूट दे दी है कि वो ईएमआई के भुगतान को तीन महीने तक के लिए माफ़ कर सकते हैं. रिजर्व बैंक की घोषणा में कहा गया है कि लंबी अवधि के कर्ज की किस्त चुकाने के लिए तीन महीने का मोरेटोरियम दिया जा सकता


कुछ चीजें स्पष्ट नहीं हैं लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि इन तीन महीनों में उन पर ब्याज़ चढ़ता रहेगा या उससे भी छूट मिलेगी. यह भी साफ़ नहीं है कि जिन लोगों ने पांच या सात साल के कार लोन ले रखे हैं, या पांच साल के पर्सनल लोन ले रखे हैं उन्हें लंबी अवधि का लोन माना जाएगा या नहीं. इसी तरह एक और साफ़ एलान है कि जिन लोगों ने भी वर्किंग कैपिटल के लिए कर्ज ले रखा है या कैश क्रेडिट लिमिट ले रखी हैं, उन पर तीन महीने तक ब्याज़ नहीं जोड़ा जाएगा. बैंकिंग सेक्टर में लंबा अनुभव रखनेवाले बीजेपी प्रवक्ता सैयद ज़फर इस्लाम का कहना है कि पॉलिसी के स्तर पर उठाए गए इन क़दमों से इंडस्ट्री को ज़रूरी राहत मिलेगी ही. अच्छा संकेत हालांकि रेट कट की मांग सभी तरफ़ से हो रही थी, लेकिन इस एलान के बाद बाज़ार ऊपर जाने की बजाय डांवाडोल दिख रहा है. इसे भी एक अच्छा संकेत मानना चाहिए. क्योंकि जब भी समाज के बड़े हिस्से को फ़ायदा देने वाला कोई फैसला होता है, जिसे दूसरे शब्दों में लोक लुभावन भी कहा जाता है, तब तब बाज़ार ऊपर नहीं नीचे ही जाता दिखता है. वैसे भी इन दिनों बाज़ार की चाल में कोई संकेत पढ़ना ठीक नहीं है. बाज़ार में एक-एक कदम फूंक फूंक कर रखना ही समझदारी है.


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