आठनेर -: कोरोना संकट से बेहाल हुए कुम्हार,न तो मटके - सुराही बिके और न ही ईंटें*_ बना कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट , गर्मी में होता है लगभग 80 करोड़ का कारोबार - विजय प्रजापति 

आठनेर -: कोरोना संकट से बेहाल हुए कुम्हार,न तो मटके - सुराही बिके और न ही ईंटें*_
बना कई परिवारों के सामने आर्थिक संकट , गर्मी में होता है लगभग 80 करोड़ का कारोबार - विजय प्रजापति


*बैतूल/आठनेर :: विजय प्रजापति::-* कोराना वायरस के संक्रमण से देश-विदेश  की जनता  के साथ  व्यापार जगत को भी बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है  बड़े उद्योग और उद्योगपतियों को शायद इस कोरोना संक्रमण के लोगों से भले ही बहुत ज्यादा फर्क न पड़ता हो लेकिन देश में कई ऐसे उद्योग है जो कि मौसम  के साथ फलते और फुलते हैं परिवार गर्मी के मौसम में अगले साल भर की कमाई को लगाकर कुछ आर्थिक लाभ पाने के उद्देश्य से व्यवसाय में लगाते हैं तो वही हम बात करें उस कुम्हार प्रजापति समाज की जो गर्मियों के मौसम में मटके  सुरई  जैसे कृत्रिम  लघु उद्योग  चलाकर  अपने और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं साथ ही  पुरे प्रदेश में ईंट निर्माण पर भी कोहरे के साथ ओलों की मार , पढी है। 700 करोड़ का नुकसान कोरोना के चलते होना प्रजापति समाज के लोगो का मानना है ।
गर्मी के मौसम में समाज के पदाधिकारियों के अनुसार राज्य में लोगों की प्यास शीतल जल से लगभग चार लाख कुम्हार परिवार ईंट निर्माण का नहीं बुझ रही है ।  
इसकी अहम काम करते हैं और इस बार लॉक डाउन के चलने वजह है आम जनता को देसी उन्हें कम से कम 700 करोड़ का नुकसान हुआ फ्रिज याने मटके उपलब्ध नहीं है । कोरोना के कारण निर्माण उद्योग बंद होने से । कोराना का सबसे ज्यादा जहां ईंट भट्टे पूरी तरह से बंद हो गए हैं , वहीं रही असर मटके - सुराही के कारोबार सही कसर इस दरम्यान हुई बे - मौसम बारिश और पर हुआ है । मार्च के अंतिम ओला दृष्टि ने पूरी कर दी । पिछले सप्ताह ओला सप्ताह और अप्रैल के पूरे माह में वृष्टि और बारिश के कारण अधिकांश जिलों में लगे मटके - सुराही और पक्षियों के लिए ईंट भट्टे ही बुझ गए , जिससे ईट पक नही पाई । दाना - पानी रखने वाले सकोरे की गौरतलब है कि ईटों को पकने के लिए कोयला बिक्री खूब होती है , लेकिन इस और लकड़ी का भट्टा बनाकर उसमें आग लगाकर चार लाकडाउन के चलते उनकी 15 - 20 दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है । विक्री बंद है । इसका सबसे ज्यादा असर कुम्हार समाज के लोगों किसानों की तरह छुट व्यवसायो पर हो रहा है जो साल भर की मुआवजा देने की मांग ,आमदनी का इंतजाम इस सीजन में मटके सुराही बनाकर और कुम्हार समाज ने मांग की है कि इस संकट के दौर से उबरने के लिए समाज के बेचकर ही अर्जित करते हैं । प्रदेश परिवारों को आर्थिक सहायता के अलावा में लगभग 5 लाख कुम्हार परिवार किसानों की तर्ज पर काम करने की हैं जिनमें से लगभग एक लाख परिवार मटके - घड़े और मिट्टी अनुमति दी जाए । जिस तरह से किसानों को फसल काटने के लिए लॉकडाउन दौरान कृषि कार्य करने के लिए रोक-टोक नहीं उसी प्रकार कुम्हार समाज को बर्तन बनाने का काम करने ओर कोरोना संकट के दौर में कुम्हारों को परमीशन दी जाये । अनुमान के मुताबिक प्रदेश समाज को लगभग 800 करोड़ कुम्हार समाज के लोगों को बर्तन और ईट में गर्मियों के सीजन में लगभग का भारी नुकसान हुआ है । सरकार निर्माण का काम जारी रखने के लिए घर 60 से 80 करोड़ रूपए के राहत के लिए स्पेशल पेकेज जारी से आने - जाने और सामान लाने - ले जाने के मटके - सुराही और बर्तन बिकते करे । सर्वे कराकर नुकसान की लिए छूट दी जाए । समाज ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से आर्थिक मुआवजा दे की ओर आस लगाए बैठे है। मटके - सुराही हैं । 


अधिकांश परिवारों ने शिवराज सिंह चौहान से मांग उठाई है कि किसानों से पहले ही मटके - सुराही गर्मी में आम जनता की जरूरत की तरह कुम्हार समाज को भी ओला -राजकी शिनी जारी करने की बनाकर तैयार कर लिए थे लेकिन वृष्टि और बारिश से ईंट , मटके और सुराही परमिशन दी जाए । 
*भारतीय प्रजापति हीरोज आर्गेनाईजेशन के पूर्व जिला उपाध्यक्ष विजय प्रजापति* 


लॉकडाउन के कारण बिक्री ठप,निर्माण करने वालों को हुए नुकसान का है । अब इन परिवारों को जीवन यापन की चिंता सता रही है । सर्वे कर मुआवजा दे।


*प्रदेश अध्यक्ष , शंकरलाल प्रजापति हीरोज आर्गेनाईजेशन*


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