*12 वा दिन है आज*
हमे अहसास हो गया कि कुदरत के आगे हम पहले भी जीरो थे, आज भी जीरो है.
*कार है, पैसा है, दुकान है,फैक्ट्री है, सोना है, बहुत सारे नए कपड़े है, सब जीरो जैसे हो गए है!*
अपने ही घर मे डरे डरे घूम रहे है, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई अपना प्रिय भी आ जाये, तो अच्छा नहीं लग रहा..
कुदरत ने बता दी हमे हमारी औकात,
सबका घमंड चूर चूर कर दिया..
बहुत लोग घमंड में कहते थे कि, *तुम हमे जानते नही हो!*
अब ये कुदरत ने बता दिया है कि, *तुम लोग मुझे जानते नही हो..*
अभी ये जो ज़िन्दगी है, येही सत्य है..
आत्म मंथन करो, सत्य को स्वीकारो..
*खुदा की लाठी के आगे हम सब जीरो है*
हमे अहसास हो गया कि कुदरत के आगे हम पहले भी जीरो थे, आज भी जीरो है. - शिवराम वर्मा / जोबट अलीराजपुर