झाँक रहे है इधर उधर सब अपने अंदर झांकें  कौन ?* - कामिनी परिहार

*झाँक रहे है इधर उधर सब।*
              *अपने अंदर झांकें  कौन ?*
        *ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ  में कमियां ।*
             *अपने मन में ताके कौन ?*
       *दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते ।*
            *खुद को आज सुधारे कौन ?*
       *पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।*
            *खुद पर आज विचारे कौन ?*
       *हम सुधरें तो जग सुधरेगा*
         *यह सीधी बात स्वीकारे कौन?"*
 🤝🏻


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