कर्नाटक में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है. तस्वीर कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक पुलिस स्टेशन की है जिसके दरवाजे पर बाएं हाथ में हथकड़ी लगा एक शख्स बैठा है, खास बात यह है कि ये शख्स सेंट्रल रिजर्व पुलिस फ़ोर्स यानी सीआरपीएफ़ का कॉन्स्टेबल है. राज्य के एक सांसद ने कर्नाटक के डीजीपी को टैग करते हुए ट्वीट भी किया है, उम्मीद जताई है कि यह मामला सच नहीं हो. लेकिन वास्तविकता यह है कि कॉन्स्टेबल को न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले हथकड़ी में जकड़ा गया था. उन्हें राज्य पुलिस के कॉन्स्टेबलों के साथ अभद्रता करने और लॉकडाउन के सभी प्रावधानों के उल्लंघन करने के मामले में हिरासत में लिया गया है. लेकिन सत्यता का पता लगाने पर पूरा मामला वैसा नहीं रह जाता है जैसा कि सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है. पहले सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं पर एक नज़र डाल लेते हैं. यह घटना 23 अप्रैल को सादालगा के एक्सम्बा गांव में हुई थी. @Soumyadipta हैंडल के ट्वीट से यह मामला सामने आया है जिसके मुताबिक़ सादे कपड़े में सीआरपीएफ जवान सचिन सावंत की बेलगावी पुलिस के दो कॉन्स्टेबलों (बिना यूनिफार्म) से झड़प हो गई.
सौम्याअदिता ने बीजेपी के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर और कर्नाटक पुलिस के डीजीपी को टैग करते हुए लिखा है, "सीआरपीएफ़ कमांडो के साथ अभद्रता का वीडियो. देखिए किस तरह से जब यह कमांडो एक दूसरे पुलिसकर्मी से बात कर रहा है तो दूसरा उनके पैंट को खींच रहा है. वह लगातार उनके पैंट को खींचता रहा है. कब तक कोबरा कमांडो सचिन सावंत अपना संयम रख पाते. फिर उन पर लाठी से हमला किया गया."दूसरी ओर, जिला पुलिस ने जो वीडिया जारी किया है उसमें साफ़ दिखता है कि सावंत ने बहस के दौरान एक पुलिस कॉन्स्टेबल का कॉलर पकड़ लिया था.
कैसे शुरू हुई बहस? निमबर्गी के मुताबिक़ गांव में लॉकडाउन का कितना पालन हो रहा है, धारा 144 का अनुपालन हो रहा है या नहीं, लोग मास्क पहन रहे हैं, इसे देखने के लिए दोनों कॉन्स्टेबल राउंड पर निकले हुए थे. लक्ष्मण निमबर्गी ने बताया, "जब दोनों एक्सम्बा गांव पहुंचे तो एक पेड़ के नीचे छह सात लोगों को बैठकर बातचीत करते देखा. जब लोगों ने इन्हें देखा तो सब भाग निकले. एक आदमी वहां बैठा रहा. कॉन्स्टेबल ने उनसे मास्क पहनने और घर के अंदर रहने के बारे में कहा."
इस तरह बांधकर क्यों रखा गया? बेलगावी के जिला पुलिस अधीक्षक ने यह स्वीकार किया है कि सावंत को हथकड़ी में बांधा गया और पुलिस स्टेशन के बाहर बिठाया गया था. उन्होंने बताया, "पुलिस स्टेशन में सीआरपीएफ़ कॉन्स्टेबल लगातार चिल्ला रहे थे. इस वक्त पुलिस स्टेशन में बेहद कम स्टॉफ़ होते हैं. दो महिला कॉन्स्टेबल थीं उस वक्त, लॉकडाउन के चलते बाकी सब राउंड पर गए हुए थे." "हमारे कॉन्स्टेबल उन्हें महिला स्टाफ़ के बीच स्टेशन में नहीं रखना चाहते थे. उन्हें डर था कि वह स्टेशन के अंदर कुछ कर सकता है. इसलिए उसे बांधा गया था." लॉकडाउन घोषित किए जाने के वक़्त से अवकाश पर चल रहे सावंत पर भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (ड्यूटी करते वक्त सरकारी कर्मचारी को रोकना या उसके अभद्रता करना), धारा 323 (जानबूझकर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), धारा 504 (शांति भंग करन के लिए जानबूझकर अपमानित करना) और एपिडेमिक डिजीज एक्ट (भारतीय दंड संहिता की धारा 188) की धाररा तीन के तहत मामला दर्ज किया गया.