*कोरोना संकट पर खुला पत्र शिवराज के नाम*
आदरणीय मुख्यमंत्री शिवराज जी,
सादर नमस्कार ,
जनसम्पर्क के sms सेवा से देर रात ज्ञात हुआ कि संवाद के क्रम में मुख्यमंत्री कुछ चुनिंदा पत्रकारों से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संवाद के इच्छुक हैं निश्चित रूप से यह प्रशंसनीय है कि कोरोना महामारी की इस लड़ाई में आपने 19 दिन बाद ही सही , मीडिया को भी इसका हिस्सा माना। जनसम्पर्क के सचिव द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सीमाओं का जिक्र कर कुछ चुनिंदा के शामिल होने के साथ एक व्हाट्सप्प सन्देश में बाकि पत्रकारों से भी सहयोग माँगा। चूँकि तकनीकी की सीमायें हैं और पत्रकार वर्ग इस बात को बखूबी समझता है ऐसे में ख्याल आया क्यों न खुले पत्र के माध्यम से lockdown की विवशता में अपनी बात माननीय मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाए,यदि पहुंचे तो ?
आपको शपथ लिए लगभग २१ दिन बीत गए हैं आपके शपथ ग्रहण से लेकर आज तक आप कर्मवीर योद्धा की तरह अकेले ही प्रदेश में कोरोना की लड़ाई लड़ रहें हैं, 5-10 मंत्रिमंडल के विश्वनीय साथी जो कोरोना की जंग में आपका हाथ बंटा सकते , आप अभी तक नहीं ढूढ़ पाए,अत्यंत आश्चर्य है ? अपनी गलतियों के चलते कोरोना की गिरफ्त में आये स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी ने न सिर्फ आपको मुश्किल में डाला बल्कि आपदा की इस घडी प्रदेश की पूरी कार्यप्रणाली को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया और इस हड़कंप के चलते समस्त रक्षकों ( कोरोना वारियर्स ) के बीच ही माहौल कोरोनाभय हो गया। जिसके जिम्मेदारों पर आप शायद ही कोई कार्यवाही कर पाएं ?
आपके पूर्व के 15 वर्ष के शासन में मीडिया में यह एक कथन बहुत चलन में था - *ब्यूरोक्रेसी पर शिवराज जी पकड़ नहीं है वही ब्यूरोक्रसी आज भी हावी होती दिखती है. यह समझ से परे है ?* जनता की नब्ज के खिलाडी रहे शिव जी क्या अब भी इस राज को नहीं समझे हैं ? प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग संसाधाओं के कमी से जूझ रहा है , संक्रमित व्यक्ति से सीधे जूझ रहे व्यक्ति से सीधे संवाद की कमी है जिसका नतीजा 50 डॉक्टर्स का सामूहिक इस्तीफा है। संवेदनशील मुख्यमंत्री की एक सीधी अपील हवा का रुख मोड़ सकती थी,यदि प्रयास किये जाते।
19 दिन से माननीय मोदी जी के आव्हान पर लॉक डाउन का अक्षरशः पालन कर रही प्रदेश की जनता अब घरेलू संसाधनों के अभाव में अब त्राहिमाम कर रही है। रोज की आवश्यकताओं की वस्तुओं पर कालाबाजारी हावी हो चुकी है, दाम आसमान छू रहे हैं । आर्थिक विवशता के चलते मध्यम वर्ग अब घर में राष्ट्र के नाम मौन है । संकट की इस घडी में भी कुछ अधिकारी वर्ग आर्थिक सम्पनता के साधन ढूंढ रहे हैं जो बेहद अफसोसजनक हैं ,इस पर लगाम लगाने की सख्त जरुरत है ।
कल गेहूं के कटे खेत में 40-50 श्रमिकों को अपना कीमती सामान की तरह कुछ ढूंढते हुए देखा तो ज्ञात हुआ की फसल कटने के बाद भी जो बाली खेत में रह जाती है , वो इकट्ठा कर रहे हैं। पूछने पर ज्ञात हुआ कि साहेब गरीबी में यही सहारा है ? कृषि प्रधान देश में यह देखकर अफसोस हुआ। रोज कमाकर खाने वाले गरीब के घर अब भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं ।जरुरत है ऐसे व्यक्तियों को समाज की मदद से ढूंढकर सीधे सहायता देने की । आर्थिक छिनभिन्नता के मुहाने पर खड़ा प्रदेश आपसे बहुत उम्मीद लगा कर बैठा है किसान पुत्र संवेदनशील शिवराज उनके दर्द को जानेगा , समझेगा और न्याय करेगा ।
गैस पीड़ितों के शहर भोपाल में पिछले 19 दिनों से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सभी सुविधाएं बंद है. गैस पीड़ितों को साँस सम्बन्धी बीमारियां सबसे अधिक होती हैं ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा उनमें और भी बढ़ जाता है , विश्वव्यापी महामारी में उनकी भी सुध लेने की जरुरत है , उन्हें न्याय देने की जरुरत है ।
मध्यप्रदेश में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शनिवार देर रात तक इनकी संख्या 532 हो गई। शनिवार को चार पॉजिटिव मरीज ने दम तोड़ा। इनमें तीन इंदौर से और एक भोपाल से था। इसके साथ मौत का आंकड़ा भी 40 तक पहुंच गया है। उधर, 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में आर्थिक संसाधनों से लड़ने के लिए क्या पहल प्रदेश की है ? निश्चित रूप से व्यावयायिक- औद्योगिक संगठनों के सुझाव आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे।
राज्य का कोषालय लगभग ३० दिवस से बंद सा है , आर्थिक लड़ाइयों को लड़ रहा प्रदेश का छोटा बड़ा व्यवसायी भी अब इसकी सीधी चपेट में है , आर्थिक रूप से खस्ताहाल प्रदेश को पटरी पर लाने की कई गंभीर चुनौतियां आपके समक्ष हैं जिसमें आपको हर वर्ग का साथ लेना होगा। *जरुरत है समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधि से सुसज्जित के उच्चस्तरीय सलाहकार समिति की जो प्रदेश को कोरोनाकाल के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में प्रदेश को एक नई दिशा दे सके।*
जन हितैषी मुख्यमंत्री का पहला कदम खास तौर से प्रदेश की गरीब जनता ,किसान और समाज के हर वर्ग को कोरोना की मार से उचित निर्णय कर बचाना होगा वरना महामारी में भी अपनी आर्थिक साधनों को मजबूत करने में जुटे एक खास वर्ग की कार्यप्रणाली से प्रदेश की जनता अंतिम सांसें ले चुकी होगी।
फैसला आपका है। हम होंगे कामयाब एक दिन.........
सादर
शुभेच्छु
राजेश भाटिया
संपादक
इनसाइट टी वी न्यूज़ नेटवर्क
अध्यक्ष
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