कोरोना वायरस: वो गरीब मज़दूर जिनमें भूख सहने की ताक़त नहीं हैं, उनको क्या मदद करेगी सरकार, इस बात पर प्रधानमंत्री चुप रहे. आखिर क्यों"मोदी ने अर्थव्यवस्था पर चुप्पी साध ली?


14 अप्रैल सुबह के ठीक 10 बजे जब टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली तस्वीर सामने आई तो वो एक किनारी वाले मछे को मास्क की तरह पहने हुए थे. संबोधन शुरू करते ही पहले मछे को उन्होंने मुंह से हटाया और फिर बोलना शुरू किया. संदेश साफ था - कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मास्क ही आपका बचाव है. संबोधन के तुरंत बाद उन्होंने अपना प्रोफाइल फोटो भी बदल दिया.


उनके भाषण में 'हम भारत के लो 'WE THE PEOPLE के साथ-साथ, सात का साथ जैसी नई बात थी और लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा भी. मीडिया में इससे पहले तक लॉकडाउन बढ़ाने की नई तारीख 30 अप्रैल दी जा रही थी. लेकिन मोदी हमेशा कुछ नया करने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए लो । को थोड़ी हैरानी नई तारीख को लेकर जरूर हुई. धीरे-धीरे 3 मई की नई तारीख के पीछे का लॉजिक भी सामने आया. 1 मई मज़दूर दिवस है, 2 मई शनिवार का दिन और 3 मई रविवार का दिन. इसलिए शायद प्रधानमंत्री मोदी ने 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाने की बात की. लेकिन पिछले शनिवार को जो 'जान भी और जहान भी' का नारा उन्होंने दिया था, लेकिन ताज़ा भाषण खत्म होने के साथ-साथ वो भी छूमंतर होता दिखा. कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, "पहले 21 दिन और अब आ` 19 दिन और. सरकार ने गरीबो को उनके हाल पर छोड़ दिया है. सरकार के पास पैसा भी है और खाना भी. लेकिन सरकार दोनों नहीं बांट रही है." पिछले लॉकडाउन के बाद सोशल मीडिया पर एक हैशटै जरूर चला #lockdownwithoutplan. इस बार के लॉकडाउन संबोधन में क्या वो प्लान लो । को नज़र आया. यानी एक 21 दिन में 63 बिलियन डॉलर का नुक़सान और 40 दिन के लॉकडाउन में 120 बिलियन डॉलर का नुकसान हो [. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखें तो लॉकडाउन ज़रूर आपको ख़र्चीला ल` I, लेकिन भारतीयों की जान के मुकाबले ये पैसा कुछ भी नहीं है. शायद इसलिए राज्य सरकारों की तरफ से मोदी के भाषण पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री के फैसले को अमल में लाने की बात कही तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक हलोत ने भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक जुट होने का संदेश दिया. साफ़ था, तीन दिन पहले जिस जान भी जहान भी का स्लो न मोदी ने दिया था. आज के भाषण में उनके सुर 'जान भी' पर ज़्यादा जोर देते नज़र आए. कोरोना वायरस का ख़तरा जब से भारत में आया है तब से अब तक मोदी कई बार राष्ट्र को संबोधित कर चुके हैं. पहली बार जनता कयूं की घोषणा की और थाली बजाने को कहा था, फिर 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी, फिर 5 तारीख को 9 बजे दीया जलाने का एलान किया था. जानकार मानते हैं कि हर संबोधन में उनका झुकाव कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने पर ही अधिक दिखा, अर्थव्यवस्था की चिंता, कोरोना के मुक़ाबले हमेशा कम दिखी. शायद यही वजह है कि समाजशास्त्री इस भाषण से संतुष्ट दिखे. पूजा मेहरा भी संजय की बात से सहमत हैं पर वो साथ में ये भी कहती हैं कि मोराल बूस्ट करना अच्छी बात है, लेकिन साथ में किसी भी प्रधानमंत्री को लोों में आत्मविश्वास भी ज ना चाहिए कि मुश्किल की घड़ी में संकट से निपटने के लिए हमारे पास ये रोडमैप है. लेकिन आज के इस भाषण के बाद ल ता है कि सरकार उसमें विफल रही है. संजय कुमार, इस पर पूजा मेहरा से इत्तेफ़ाक नहीं रखते. वो कहते हैं, "प्रधानमंत्री ने प्लान पर लो ों को 24 घंटे और इंतज़ार करने के लिए कहा. इतना कह कर इशारा कर दिया कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है. लो । के अंदर उम्मीद सी ज [ कर रखी है." फ़िलहाल देश में पांच राज्य, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीस ढ़ और ओडिशा ने मास्क पहन कर बाहर निकलना अनिवार्य कर दिया है. डॉ. जैकब को ल ता है कि मोदी के आज के ड्रेस के बाद लो इसे और भीरता से लें. लेकिन उन्हें कुछ बातों को लेकर चिंता भी है. वो कहते हैं कि वे आज की तारीख में प्राइवेट क्षेत्र में काम कर रहे डॉक्टरों की हालत को लेकर चिंतित हैं. उनके मुताबिक ना तो केंद्र सरकार की तरफ से ना तो स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से आज तक पूरे देश भर के डॉक्टरों को संबोधित किया या है. उनका दावा है कि सरकार की तरफ से कोरोना के ट्रीटमेंट में पारदर्शिता का अभाव है. उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन में डॉक्टरों के लिए भी बातें कहें. वो मोदी से कोरोना के डॉक्टरी पहलू पर चर्चा की अपेक्षा नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्हें आशा थी कि वो घोषणा करें, कि देश के डॉयरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज, या फिर बड़े डॉक्टर या पैनल जो कोरोना से डील करने में भारत सरकार की मदद कर रहे हैं, उसके बारे में जनता को बताएं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.


लॉकडाउन 2 पर WHO विश्व स्वास्थ्य सं ठन ने भारत में लॉकडाउन बढ़ाने पर बयान जारी किया है. WHO की साउथ एशिया डायरेक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा," भारत सरकार की तरफ से जो क़दम सही समय पर उठाए ए वो सराहनीय हैं. हालांकि WHO ने ये भी कहा कि इस लॉकडाउन का असर कोरोना संक्रमण के मरीज़ो की संख्या पर कितना पड़े । इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाज़ी हो . WHO ने माना कि छह हफ्ते का लॉकडाउन, अ र फिज़िकल डिस्टेंसि , पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर, टेस्टिं , ट्रेसिं और आइसोलेशन के साथ ला किया जाए तो कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. ऐसे समय में सरकार के साथ समाज को भी सामने आने की ज़रूरत है."


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