कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब, वरना हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था*  - दिनेश साहू

*कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब, वरना हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था*


*जो कहते थे कि मरने तक की फुरसत नहीं है, वे आज मरने के डर से फुरसत में बैठे हैं*


*माटी का संसार है खेल सके तो खेल, बाजी रब के हाथ है पूरा विज्ञान फेल* 


*मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी  की उलझनों में, जरा सी जमीन क्या  खिसकी कि सबको ईश्वर  याद आ गया* 


*ऐसा भी आएगा वक्त पता नहीं था, इंसान डरेगा इंसान से ही पता नहीं था*


Popular posts
अगर आप दुख पर ध्यान देंगे तो हमेशा दुखी रहेंगे और सुख पर ध्यान देंगे तो हमेशा सुखी रहेंगे
Image
कान्हावाड़ी में बनेगी अनूठी नक्षत्र वाटिका, पूर्वजों की याद में लगायेंगे पौधे* *सांसद डीडी उइके एवं सामाजिक कार्यकर्ता मोहन नागर ने कान्हावाड़ी पहुँचकर किया स्थल निरीक्षण
Image
ग्रामीण आजीविका मिशन मे भ्रष्टाचार की फिर खुली पोल, प्रशिक्षण के नाम पर हुआ घोटाला, एनसीएल सीएसआर मद से मिले 12 लाख डकारे
Image
बैतूल पाढर चौकी के ग्राम उमरवानी में जुआ रेड पर जबरदस्त कार्यवाही की गई
Image
विदुर ने अवसर देखकर युधिष्ठिर से पूछा- "वत्स, यदि जंगल में भीषण आग लग जाये, तो जंगल के कौन से जानवर सुरक्षित रहेंगे ?"*पी आर साहू
Image