इस सवाल का जवाब अब विश्व स्वास्थ संगठन के कुछ विशेषज्ञ ढूंढेंगे. विशेषज्ञों का यह समूह अब ये जानने के लिए शोध करेगा कि क्या कोरोना वायरस छींक के ज़रिए 6-8 मीटर से भी ज़्यादा दूरी तक जा सकता है? अमरीका में हुए एक अध्ययन का कहना है कि कोविड-19 वायरस छींक के ज़रिए 6-8 मीटर की दूरी तक जा सकता है.
मौजूदा निर्देश क्या है? विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए खांसने या छींकने वाले व्यक्ति से एक मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. डब्ल्यूएचओ बीमार या कोरोना संक्रमण के लक्षणों वाले व्यक्तियों को मास्क पहनने की सलाह देता है. फ़िलहाल डब्ल्यूएचओ उन्हीं लोगों को मास्क पहनने की सलाह देता है जिन्हें या तो संक्रमण की आशंका हो या वो संक्रमित लोगों की देखभाल कर रहे हों. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर भी जोर देता है कि मास्क पहनने का फ़ायदा तभी होगा जब इन्हें थोड़े समय में बदला जाए, ठीक से डिस्पोज़ किया जाए और बार-बार हाथ धोया जाए.
नई रिसर्च क्या कहती है? कैंब्रिज में एमआईटी के शोधकर्ताओं ने ये देखने के लिए एक हाई स्पीड कैमरा और अन्य सेंसर इस्तेमाल किया कि असल में किसी के खांसने या छींकने के बाद क्या होता है. इसमें उन्होंने पाया कि सांस लेने से गैस का एक धुआं पैदा होता है जिसकी गति बहुत तेज़ होती है. इस गैस में कुछ अलग-अलग आकार की कुछ बूंदें भी होती हैं.
इसके नुक़सान क्या हैं? इस रिसर्च की अगुवाई करने वाली प्रोफ़ेसर लिडिया बरॉबिया ने बीबीसी को बताया कि वो 'सुरक्षित दूरी' की मौजूदा धारणा को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा, "जब हम सांस लेते, खांसते या छींकते हैं तो ये इससे निकलने वाली बूंदें काफ़ी दूर तक जा सकती हैं. यहां तक कि पूरे कमरे में भी फैल सकती हैं. इसलिए दो मीटर वाली दूरी और ये सोचना कि बूंदें ज़मीन पर गिर जाएंगी, ये बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं है. ये धारणा हमने बिना पूरी तरह नापतौल किए और सीधे देखे बनाई है."
इससे मास्क पहनने का तरीका बदलेगा? प्रोफ़ेसर लिडिया कहती हैं कुछ स्थितियों में जैसे खासकर बंद कमरों में (जहां हवा ठीक से न आती हो) मास्क पहनने से ख़तरा कम होता है. मिसाल के तौर पर, अगर आप किसी संक्रमित शख़्स के पास हैं तो ऐसे में मास्क उसकी सांस के ज़रिए आने वाले वायरस की दिशा को आपके मुंह के दूसरी तरफ़ मोड़ सकता है.
WHO के विशेषज्ञ क्या कहते हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर हेमैन कहते हैं कि एमआईटी की नई रिसर्च का मूल्यांकन किया जाएगा. उन्होंने कहा, "नई रिसर्च से ऐसा लगता है कि मास्क पहनना सोशल डिस्टेंसिंग से कहीं ज़्यादा प्रभावी होगा." विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस समूह का नाम स्ट्रैटेजिक ऐंड टेक्निकल अडवाइजरी ग्रुप फ़ॉर इंफेक्शियस हैज़र्ड्स है. ये समह अगले कुछ दिनों में ऑनलाइन मीटिंग करने वाला है. हालांकि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के एक प्रवक्ता का कहना है कि इस बात के भी कम सबूत हैं कि घर से बाहर मास्क पहनने के ज़्यादा फ़ायदे हैं. कोविड-19 संक्रमण के इस दौर में स्वस्थ लोग भी मास्क पहन रहे हैं. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिसर्च मास्क पहनने के आदत को और बढ़ावा दे सकती है.