*मुख्यमंत्री की सनक से सभी की जान दांव पर!*
*दुनिया मे फैली महामारी कोरोना ने बड़ी-बड़ी महाशक्तियों को हिलाकर रख दिया है! इससे बचाव का एक मात्र उपचार हैं, 'कम्प्लीट लॉक डाऊन!' राज्य सरकार ने अपने सभी दफ्तर बंद कर वर्क फ्रॉम होम शुरू किया है।इसके बावजूद मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क संचालनालय के 'साहब' पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑफिस में हाज़िर रखने की सनक सवार हो गई! क्योंकि, मुख्यमंत्री ऐसा चाहते हैं।*
*जिस राज्य में स्वास्थ्य और पुलिस तंत्र जैसे अतिआवश्यक विभाग के अधिकांश छोटे-बड़े कर्ता-धर्ता कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं, वहाँ एक ज़िद किसी अनहोनी को न्यौता ही है। दरअसल, ये जिद अफसर की कम मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की ज्यादा है, जो रोज अपना चेहरा न्यूज़ चैनलों और अखबारों में दिखाई देने के लिए पूरे जनसंपर्क संचालनालय को मुश्किल में डाल रहे हैं।*
*जनसंपर्क अफसर का रोज ऑफिस में आकर मीटिंग करना, पिछले पापों पर पर्दा डालने का फाईल वर्क, बेकार की कमेटियों का गठन आज के माहौल में तर्कसंगत नहीं है। संकट के इस दौर में मुख्यमंत्री की ऐसी कार्रवाई अनुचित है। 'जनसम्पर्क' तो 'एस्मा' श्रेणी में भी नहीं आता है और न ये दवा छिड़काव या इंजेक्शन लगाने का काम करता है, जिसके लिए कार्यालय में फिजीकल उपस्थिति अनिवार्य हो!* *लेकिन, मुख्यमंत्री अभी भी पेयजल, सड़क निर्माण और राजस्व जैसे विषयों की अनावश्यक बैठक लेकर अपनी वाहवाही करवाना चाहते हैं और इसके लिए पूरे जनसंपर्क को खतरे में डाले हुए हैं।*
*जब प्रधानमंत्री खुद सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन का संदेश दे रहे हैं तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को जनसंपर्क के कर्मचारियों और अधिकारियों की जान से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।*
मुख्यमंत्री की सनक से सभी की जान दांव पर!* - के के मिश्रा