जो शिवराज जी विपक्ष में शराब को
लेकर ख़ूब धरने देते थे , भाषण देते थे , विरोध करते थे , इसे बहन-बेटियों के लिये ख़तरा बताते थे , प्रदेश को मदिरा प्रदेश बनाने का आरोप लगाते थे।
आज सत्ता में आकर वे लॉकडाउन में जब मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारे , सभी धार्मिक स्थल तक बंद है , राशन की दुकाने तक बंद है , दूध- दवाई तक की दुकाने बंद है ,ऐसे समय लोगों के लिये शराब की दुकाने खुलवा कर बैठे है।
आमजन , संत-महात्मा , ख़ुद शराब ठेकेदार कोरोना के संक्रमण बढ़ने का हवाला देकर दुकाने बंद रखने की गुहार कर रहे है लेकिन शिवराज जी और उनकी सरकार डंडे के बल पर शराब दुकाने खुलवा का बैठी है।
ये है इनकी कथनी और करनी ?
प्रदेश में भले कोरोना का क़हर बढ़ जाये लेकिन शराब की कमाई आवश्यक है।
पता नहीं प्रदेश को कहा ले जायेंगे ?