ऐसी भी क्या मजबूरी है डिजीटलाईजेशन की  हमारे देश की जनता अभी भी मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष कर रही है? - गोविंद पटेल

ऐसी भी क्या मजबूरी है डिजीटलाईजेशन की  हमारे देश की जनता अभी भी मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष कर रही है? अशिक्षा और संसाधन की भारी कमी है, और अभी तो भारत देश बहुत बड़ी आबादी कोरोना महामारी से जान बचा कर अपने गाँव अपने परिवार के पास कैसे पहुँचे उसके लिए संघर्ष कर रही है गरीब और अशिक्षित प्रवासी क्योंकि सत्ता मे बैठे नेता मंत्री खुद तो गवार है ही और प्रशासनिक अधिकारी उच्च वर्ग और उच्च शिक्षा धारी है वो भी सबको अपने जैसा समझते है आवागमन अनुमति चाहिए आॅनलाईन मिलेगी, कल से रेल यात्रा आनलाईन टिकट मिलेगी तो अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग लाॅकडाऊन मे आॅनलाईन इन्टरनेट से टिकट या आवागमन पास के लिए जुझ रहे है । मा शिवराज जी जैसे शराब नगद पैसे लेकर खिलाड़ी से दिला रहे हो वैसे ही रेल टिकट और आवागमन पास भी दिला सकते हो मानते आपकी सरकार का खर्चा ज्यादा है विधायक खरीद के निजु नही है तो कोरोना शुल्क लगा दो । असली  शुध्द का युद्ध लड़ता है नकली शराब पर निर्भर रहता है ।जय हो राजा राम की 


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