अपने ही "ज्ञानचंद" परिधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी युवाओं से अपील कर रहे हैं कि "यदि उन्होंने शराब नहीं छोड़ी तो देश बर्बाद हो जाएगा!!"..... लॉक डाउन-3 के साथ ही केंद्र ने पूरे देश में शराब की दुकानें खोलने की "राष्ट्रीय घोषणा" कर डाली?...- के के मिश्रा

*एक सच वाकिया.......यह महज़ एक इत्तेफ़ाक ही है। आज प्रातः अपने निवास स्थित गार्डन में वृक्ष की छांव के नीचे कुर्सी डाल समाचार-पत्र पड़ रहा था, देखता हूं पहले एक मोर आया,फिर कार की छत पर दो बंदर आ गए, वे अपनी-अपनी अठखेलियाँ कर रहे थे,जिन्हें में एकटक निहारता रहा, अनायास मेरी निगाह गार्डन की क्यारियों पर पड़ी,जहां एक गिरगिट दिखा जो बार-बार अपना रंग बदल रहा था, फिर वहीं बैठे-बैठे अखबार व मोबाइल की ओर रुख्सत हुआ तो उसमें शराब,शराबियों व सरकारों का बार-बार जिक्र आ रहा था, सोंचा "रंग बदलते गिरगिट व शराब" को लेकर ही आज कुछ लिखा जाए। सुबह से ही mood बना रहा था,सो अब लिखना शुरू कर दिया*
     *अब लगभग यह स्पष्ट हो चुका है कि शराब के बिना शराबी व सरकार, (चाहे वह किसी भी राजनैतिक दल की क्यों न हो) नहीं रह सकते हैं, शराबी व सरकार की (अर्थ व्यवस्था के पैर) इसके अभाव में लड़खड़ाने लगते हैं !! अब सवाल यह उठता है कि जब एक-दूजे के बिना दोनों ही नहीं रह सकते हैं,तो ये दोनों ही पर्याय अपने-अपने उल्लू को सीधा करने के लिए बिना पीने वाली (जनता) को बेवकूफ़ क्यों समझते हैं ? इसका अतिरेक तो तब समझ आता है,जब सत्ता के बाहर और सत्ता के नशे की बदली हुई राजनैतिक परिस्थितियों में राजनेता कहे जाने वाले "नेतागण"  नशा करने व नहीं करने वालों की निगाह में अपने दोहरे ज्ञान पेलने के कारण गिरगिट जैसे रंग बदलते हुए हंसी,अपमान के पात्र बनकर खुद अपनी ही किरकिरी करा लेते हैं!!*
       *अब देखिए अपने ही "ज्ञानचंद" परिधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी युवाओं से अपील कर रहे हैं कि "यदि उन्होंने शराब नहीं छोड़ी तो देश बर्बाद हो जाएगा!!"..... लॉक डाउन-3 के साथ ही केंद्र ने पूरे देश में शराब की दुकानें खोलने की "राष्ट्रीय घोषणा" कर डाली?.....अब इससे आगे बढ़ें.... हमारे मुख्यमंत्री श्री "मुखराजसिंह चौहान" तो और भी आगे निकले.... अपनी विपक्षी भूमिका के तले प्रदेश के स्थापना दिवस एवं अन्य अवसरों पर उन्होंने शराब को एक सामाजिक बुराई बताते हुए शराब की दुकानों,वहां संचालित हो रहे आहतों के व श्री कमलनाथ जी की सरकार के ख़िलाफ़ महिलाओं से लाठियां उठाने तक का ज्ञान पेल रहे थे, जबकि शायद "आहता" शब्द को वैधानिक स्वीकृति उनके मुख्यमंत्रित्व काल में ही मिली है?*
      *अब दोहरे राजनैतिक चरित्र के दर्शन करना भी "पुण्यकाल" ही कहा जायेगा...आज स्थितियां बदल चुकी हैं...नीलामी में खरीदी गई सरकार व कोरोना से संक्रमितों व मौतों में सर्वाधिक तीसरे नंबर पर पहुंच चुके प्रदेश के मुखिया....."श्री मुखराज...अब श्री शिवराज" बन गए हैं!.....कोरोना से संक्रमितों,उससे हो रही मौतों के ख़ौफ़ के कीर्तिमान से ज्यादा चिंता उन्हें शराब की दुकानों,उनमें संचालित आहतों की हो रही है,शराब ठेकेदारों की मनाही के बाद भी वे शराब की दुकानें खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं,ऐसा क्यों ?*
     *शिवराज जी,शराब एक सामाजिक बुराई है? आहते बंद किये जायें?सर्वाधिक अपराध,बलात्कार,हत्याएं शराब के नशे में ही होते हैं?महिलाएं शराब की दुकानों के खिलाफ लाठियां उठाएं और कमलनाथ सरकार राज्य को "मद्य प्रदेश "बना रही है?? शायद यह "विपक्षी विधायक" के रूप में आपके ही प्रेरक विचार थे....और अब???*
   
      *यानी बदली परिस्थितियों में  अलग-अलग राज.....मुखराज...सुखराज....शिवराज...... और "यमराज"*
 
   *इसीलिए कहा गया है....."बिना बिचारे जो करे वो पीछे पछताय,काम बिगाड़े आपनों जग में होत हंसाय"*
      *क्षमा प्रार्थना के साथ*
   
  विशेष -शिवराज जी एक VDO तो कल मंगलवार का इंदौर(रेड जोन) के अन्नपूर्णा रोड स्थित पेट्रोल पम्प का है,जिसमें एक युवती शराब के नशे में उत्पात मचा रही है,जबकि यहां शराब की दुकानें बंद हैं!!*


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