बिन्यामिन नेतन्याहू देश के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए ट्रायल का सामना कर रहे हैं. क्या प्रधानमंत्री बने रह पाएंगे?


70 साल के बिन्यामिन नेतन्याहू देश के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पद पर रहते हुए ट्रायल का सामना कर रहे हैं. हालांकि, वह खुद पर लगे रिश्वत, फ्रॉड और भरोसा तोड़ने के आरोपों को खारिज करते हैं सुनवाई के लिए अदालत पहुंचे नेतन्याहू ने कहा कि इन मामलों का मकसद "किसी भी मुमकिन तरीके से उन्हें नीचे गिराना है." एक हफ्ते पहले ही उन्होंने एक तकरीबन नामुमकिन दिखने वाली यूनिटी गवर्नमेंट के मुखिया के तौर पर शपथ ली थी. उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज ने एक साल में तीन बार बेनतीजा रहे चुनावों के बाद उनके साथ सत्ता की कुर्सी साझा करने का समझौता कर लिया था.


कोर्ट में क्या हुआ? रविवार को येरूशलम जिला कोर्ट में पहुंचने के बाद नेतन्याहू ने रिपोर्टरों से कहा, "मैं अपना सिर ऊंचा कर यहां आया हूं." उन्होंने कहा, "जब आप, दक्षिणपंथ के एक मजबूत प्रधानमंत्री को गिराना चाहते हैं तो हर चीज जायज हो जाती है." करीब एक घंटे चली सुनवाई की शुरुआत में नेतन्याहू ने जजों को बताया, "मैंने आरोपों को पढ़ा है और मैं इन्हें समझता हूं."


बिन्यामिन नेतन्याहू पर क्या आरोप हैं? नेतन्याहू पर तीन मामलों में आरोप लगाए गए हैं. इन मतीन मामलों को 1,000, 2,000 और 4,000 कहा जाता है. केस 1,000 - फ्रॉड और भरोसा तोड़ना : उन पर खासतौर पर सिगार और शैंपेन की बोतलों जैसे उपहार लेने का आरोप लगा है. आरोप है कि ताकतवर कारोबारियों ने अपने पक्ष में काम करने के बदले उन्हें ये उपहार दिए थे. केस 2,000 - फ्रॉड और भरोसा तोड़ना : नेतन्याहू पर सकारात्मक कवरेज के बदले में इसराइली न्यूज़पेपर येडियट अहरोनोट के सर्कुलेशन में सुधार लाने में मदद की पेशकश करने का आरोप है. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ट्रायल का सामना कैसे किया जा सकता है? इसराइली कानूनों के मुताबिक, किसी अपराध के आरोपी किसी नेता के लिए इस्तीफा देना जरूरी नहीं है. लेकिन, इस तरह का वाकया पहले कभी सामने भी नहीं आया है. पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट ने 2008 में भ्रष्टाचार की जांच की जद में आते ही पार्टी लीडर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था. लेकिन, वह अगले साल हुए चुनावों तक तकनीकी तौर पर प्रधानमंत्री बने रहे थे. इन चुनावों में बिन्यामिन नेतन्याहू जीतकर सत्ता में आ गए थे.


इस ट्रायल के देश के लिए क्या मायने हैं? संक्षेप में, इस मामले में एक प्रधानमंत्री देश के सर्वोच्च पद पर बने रहते हुए खुद को पाक-साफ साबित करने और जेल जाने से बचने का संघर्ष करता दिखेगा. आने वाले महीनों में नेतन्याहू के यदूदी बस्तियों और कब्जे वाले वेस्ट बैंक के इलाके जॉर्डन घाटी के विलय की योजनाओं पर आगे बढ़ने की उम्मीद है. यह एक ऐसा कदम है जिसे निश्चित तौर पर फ़लस्तीन के लोगों के बड़े गुस्से का सामना करना पड़ेगा. पूर्व प्रधानमंत्रई एहुद ओल्मर्ट की अगर बात की जाए तो उनका ट्रायल 2009 में शुरू हुआ था और लंबी चली कानूनी प्रक्रिया में दोषी करार दिए जाने के बाद भी उनकी सजा 2016 में जाकर ही शुरू हो पाई.


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