*एमपी के मजदूर की मार्मिक कहानी: खुद की हाथ गाड़ी बनाकर 2 साल की बेटी और गर्भवती पत्नी को खींचकर 17 दिन में 800 किलोमीटर पैदल चला*
मीडियावाला.इन।
बालाघाट। लॉकडाउन में काम-धंधे बंद हो गए है, जिसके चलते दूसरे प्रदेशों में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है। इस बीच मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से प्रवासी श्रमिक की घर वापसी की एक मार्मिक वीडियो सामने आई है। ये वीडियो मजदूरों की मजबूरी की दास्तां बया कर रही है। दरअसल, वीडियो में देखा जा सकता है- एक पिता है, एक गर्भवती है और एक दो साल की बच्ची है। यह सभी हैदराबाद में मजदूरी कर भरण-पोषण कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण ठेकेदार की साइड बंद हुई और यह मजदूर दंपती रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो गए।
*17 दिन में 800KM पैदल चलकर पहुंचा गांव*
रामू ने मदद के लिए सरकार और कई लोगों से मिन्नतें कीं, लेकिन किसी ने उसकी सहायता नहीं की। तब उसने पैदल ही हैदराबाद से अपने गृह जिले बालाघाट के कुंडे मोहगाव लौटने का निर्णय लिया और रामू अपनी पत्नी और बेटी के साथ पैदल चल दिया। लेकिन गर्भवती पत्नी के लिए 800 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना आसान नहीं था। 10-15 किलोमीटर चलने के बाद रामू ने बांस और लकड़ी के टुकड़े चुनकर एक हाथ गाड़ी बनाई। हाथ गाड़ी पर ही उसने अपनी पत्नी धनवंताबाई और 2 वर्षीय साल की बेटी अनुरागिनी को उसमें बैठाकर सफर के लिए कदम आगे बढ़ा दिए। इस तरह लगभग 800 किमी की बालाघाट के लिए यह यात्रा मजदूर परिवार ने 17 दिन में पूरी की।
*पुलिसवाले ने उन्हें देखा तो उनके कलेजे भी कांप गए*
पत्नी के साथ मजदूर रामू बालाघाट रजेगांव सीमा पर पहुंचा। वहां, मौजूद पुलिसवालों ने उन्हें देखा तो उनके कलेजे भी हिल गए। लांजी के एसडीओपी नितेश भार्गव ने इस बारे में बताया कि हमें बालाघाट की सीमा पर एक मजदूर मिला जो अपनी पत्नी धनवंती के साथ हैदराबाद से पैदल आ रहा था। साथ में दो साल की बेटी थी जिसे वह हाथ की बनी गाड़ी से खींचकर यहां तक लाया था। हमने पहले बच्ची को बिस्किट दिए और फिर उसे चप्पल लाकर दी। फिर निजी वाहन से उसे उसके गांव भेजा।
*दिनभर में भी लांजी से लौटे 200 से अधिक मजदूर*
लांजी क्षेत्र में रजेगांव सीमा से मंगलवार रात ड़ेढ बजे आंध्रप्रदेश के करीमनगर से लगभग डेढ़ सौ से अधिक श्रमिकों की वापसी हुई। जबकि दिनभर में इस इलाके की विभिन्न सीमाओं से 400 से अधिक मजदूर घर लौटे। पुलिस पहले इन मजदूरों को सीमा पर स्वास्थ्य जांच कर घर भेजा जा रहा था। बाद में लांजी के एसडीओपी भार्गव ने सीमा के पहले हाईवे तक पहुंच कर मजदूरों के भोजन और वापसी के लिए वाहन के प्रबंध किए। फिर स्वास्थ्य जांच के बाद घर भेजा।
*पैरों के छाले ठीक करने मलहम और पेन किलर भी बांट रही पुलिस*
प्रवासी मजदूरों की वापसी के दौरान उनके दर्द से रूबरू हो रही पुलिस इस बार रहनुमा के रूप में है। आमतौर पर लोगों के साथ सख्ती से पेश आने वाली पुलिस इन मजदूरों के पैरों में चप्पल, छालों को ठीक करने मलहम और पेन किलर जेल भी बांटती देखी जा रही है। रजेगांव चेकपोस्ट पर लांजी के एसडीओपी बच्चों को बिस्कुट और मजदूरों को जेल बांटते भी देखे गए।
एमपी के मजदूर की मार्मिक कहानी: खुद की हाथ गाड़ी बनाकर 2 साल की बेटी और गर्भवती पत्नी को खींचकर 17 दिन में 800 किलोमीटर पैदल चला*