दूसरे राज्यों में मध्य प्रदेश के एक लाख लोग उड़ीसा में फंसे है म.प्र. के बैतूल जिले के चोपना पुनर्वास क्षेत्र के 15 मजदुर उड़ीसा में फंसे है म.प्र. के बैतूल जिले के चोपना पुनर्वास क्षेत्र के 15 मजदुर आज दिनांक तक जिला प्रशासन सांसद एवं विधायक ने नहीं लिया इनकी कोई सुध
मध्य प्रदेश सरकार ने दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए कवायद तेज कर दी है. सरकार इन फंसे हुए मजदूरों को 31 ट्रेनों के माध्यम से वापस लाना चाह रही है जिसका प्लान रेल मंत्रालय को भेज दिया गया है. सरकार के मुताबिक अभी दूसरे प्रदेशों में लगभग एक लाख मजदूर फंसे हुए है. भोपाल से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी शुरैह नियाज़ी बताते हैं कि सरकार जो ट्रेन चलाना चाह रही है उसमें महाराष्ट्र से 22, गुजरात से 2, दिल्ली से 1, गोवा से 2 और 4 ट्रेनें दूसरे प्रदेशों से होंगी ताकि मजदूर वापस प्रदेश आ सकें. सरकार ने दावा किया है कि शनिवार तक प्रदेश में 50 हज़ार मजदूरों को वापस लाया गया है और 38 हज़ार ऐसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है जो प्रदेश में दूसरे स्थानों में फंस गये थे. वहीं सरकार का यह भी कहना है कि हर रोज़ तीन से चार हज़ार मजदूर पैदल प्रदेश में आ रहे हैं. सरकार ने मजदूरों के लिये एक हेल्पलाइन भी जारी की है. टोल फ्री नंबर 0755-2411180 पर फोन करके मज़दूर प्रदेश में आने के लिये रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं और अपनी समस्या भी बता सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आने वाले मज़दूरों से किसी भी किस्म का कोई किराया वसूल नहीं किया जाएगा. वहीं प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया है कि हेल्पलाइन में हर मिनट लगभग 1300 कॉल आ रहे हैं. अपर मुख्य सचिव एवं प्रभारी स्टेट कंट्रोल-स्म आईसीपी केशरी ने बताया है, "मज़दूरों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है. मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है और उसके बाद भोजन-पानी की व्यवस्था के बाद उन्हें उनके गृह स्थान पर भेजा जा रहा है."
लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस लाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं. राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने ट्रेन से मज़दूरों और दूसरे लोगों को वापस लाने की अनुमति दी है. हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे राज्यों से आने वाले इन लोगों को सरकार कहां रखेगी और उन्हें घर भेजने की प्रक्रिया क्या होगी?
प्रवासियों को एक साथ नहीं बुला रही ममता सरकार पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सो में फंसे तमाम छात्रों, पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस ले आया जाएगा. इसी क्रम में बीते सप्ताह कोटा में फंसे राज्य के लगभग ढाई हजार छात्रों को बसों से ले आया गया है. अब अजमेर और केरल के त्रिवेंद्रम से दो ट्रेनों में लगभग ढाई हज़ार तीर्थयात्री, पर्यटक और प्रवासी मजदूर अगले दो दिनों में यहां पहुंचेंगे. कोलकाता में बीबीसी के सहयोगी प्रभाकर मणि तिवारी ने बताया कि यह ट्रेनें सोमवार को ही रवाना हो गई हैं. बंगाल आने वाली यह पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेनें हैं. ममता बनर्जी खुद इस मामले की निगरानी कर रही हैं. उन्होंने ही ट्वीट में इसका ऐलान किया था.
लेकिन सवाल है कि कोरोना मरीजों की जांच और कोरोना अस्पतालों और क्वारंटीन केंद्रों की हालत पर पहले ही तमाम विवादों से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस सरकार क्या इतनी बड़ी तादाद में प्रवासियों के लौटने पर पैदा होने वाली संभावित समस्याओं से निपटने के लिए तैयार है? बजाय वैकल्पिक जगहों पर रखा जाएगा. इस आधारभूत ढांचे को तैयार करने में तोड़ समय लग सकता है. मुख्य सचिव बताते हैं कि एक साथ लाखों प्रवासी मजदूरों को बुलाना उचित नहीं होगा. इसके लिए विस्तृत योजना जरूरी है. ऐसा नहीं किया गया तो अब तक की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
छत्तीसगढ़ के सवा लाख मज़दूर फंसे छत्तीसगढ़ सरकार का अनुमान है कि राज्य के लगभग सवा लाख श्रमिक देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं. अकेले जम्मू-कश्मीर में में ही राज्य के 15 हज़ार से अधिक श्रमिक फंसे हुए हैं. रायपुर से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी आलोक प्रकाश पुतुल ने बताया कि राज्य सरकार का दावा है कि वह इन सभी श्रमिकों का डेटाबेस तैयार कर रही है. इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है, कुछ हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं. अलग-अलग राज्यों के मज़दूरों के लिए नोडल अधिकारी भी बनाए गए हैं. की चेतावनी दी. राज्य सरकार के प्रवक्ता सुब्रतो बागची ने सोमवार को बताया कि पिछले 24 घंटों में देश के अलग अलग राज्यों से 8830 प्रवासी श्रमिक ओडिशा वापस आए हैं.
राजस्थान लौटेंगे करीब 15 लाख लोग राजस्थान में पहली ट्रेन कोटा से रांची के लिए करीब 1000 स्टूडेंट्स को लेकर रवाना हुई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 4 मई को राज्य के सभी जिला कलेक्टर और एसपी को वीडियो कॉन्फ्रेंस से प्रवासी मजदूरों की व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राजस्थान से जाने वाले मजदूरों से किराया नहीं लिया जाएगा. राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया, "हमने बसें चालू कर दी हैं. लोगों को मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश ले कर जा रही बसें वहां से लोगों को वापस भी ला रही हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आए हैं उनमें अन्य राज्यों से राजस्थान आने वालों के मुकाबले राजस्थान से जाने वालों की है." बीबीसी के सहयोगी मोहर सिंह मीणा से बातचीत में राजस्थान सरकार के श्रम विभाग के सचिव डॉ. नीरज कुमार पवन बताते हैं, झारखंड में हुई 6000 से अधिक लोगों की वापसी रांची में बीबीसी हिन्दी के सहयोगी रवि प्रकाश के मुताबिक, केरल के अर्नाकुलम और कालीकट से चली दो ट्रेनें सोमवार को झारखंड पहुंची. कर्नाटक के बेंगलुरु से करीब एक हज़ार प्रवासी झारखंडी मज़दूरों, छात्रों और प्रोफेशनल्स को लेकर रविवार की दोपहर चली ट्रेन सोमवार की रात 11 बजे हटिया स्टेशन पर पहुंचने वाली है. झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि कोटा से आई दोनों ट्रेनों का खर्च झारखंड सरकार ने वहन किया है. जबकि लिंगमपल्ली से हटिया आई ट्रेन का खर्च तेलंगाना और झारखंड सरकार ने मिलकर वहन किया. इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर मज़दूरों को एयर लिफ़्ट भी कराया जा सकता है. झारखंड सरकार इस पर विचार कर रही है.
असम के प्रवासियों का रजिस्ट्रेशन शुरू गुवाहाटी से बीबीसी हिन्दी के सहयोगी दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि असम सरकार ने लॉकडाउन के चलते भारत के अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, छात्रों, नौकरी करने वाले युवाओं, पर्यटकों, श्रद्धालुओं और अपने दूसरे नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने की प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया है. असम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, "अन्य प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण फंसे जो व्यक्ति जारी किए गए नंबर पर मिस कॉल देंगे उनके पास अगले 48 घंटे के भीतर एक लिंक भेजा जाएगा ताकि वे रजिस्ट्रेशन के लिए फार्म भर सकें. इस फॉर्म को भरने से हमें असम आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी. मसलन वे किस राज्य से आ रहे हैं. ट्रेन और बस बस से आना चाहते हैं या फिर खुद गाड़ी रिजर्व कर आना चाहते हैं. वे देश के किस जिले से आ रहे हैं और असम के कौन से जिले में जाएंगे."
क्या है बिहार सरकार की तैयारी? लॉकडाउन के कारण अपने घर से बाहर फंसे बिहार के लाखों प्रवासियों के वापस राज्य लौटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. प्रवासियों में मजदूर, कामगार और छात्र मुख्य रूप से शामिल है. बिहार सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार बाहर रहने वाले 27 लाख से ज़्यादा प्रवासियों ने आपदा अनुदान राशि और राहत के लिए आवेदन किया है. इतने कम क्वारंटीन सेंटर से बाहर से आए प्रवासियों की निगरानी के सवाल पर विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बीबीसी को बताया, "जिन 354 क्वारंटीन सेंटरों के आंकड़े विभाग द्वारा जारी किए गए हैं, वे केवल स्वास्थ्य विभाग की तरफ से चलाए जा रहे क्वारंटीन सेंटर हैं. इसके अलावा आपदा विभाग की जिम्मेदारी है कि ब्लॉक स्तर पर क्वरंटीन सेंटर का निर्माण हो." तीन मई तक के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऐसे 1387 क्वरंटीन सेंटर हैं जहां 13800 लोगों को रखा गया है.