कोरोना महामारी और अर्थव्यवस्था का संकट पूरी दुनिया है. हर देश प्रभावित है लेकिन किसी भी देश ने श्रम कानून (labour law) को खत्म नही किया !
पूरी दुनिया में भारत ही एक मात्र देश है जहां बीजेपी शासित राज्यों ने अध्यादेश जारी कर उद्योगपतियों को आर्थिक लाभ देने के लिए श्रम कानून को बेहद कमजोर कर दिया !
अब वेतन बढ़ाने या अन्य मांग के लिए मजदूर हड़ताल नही कर सकते. काम के स्थान पर घायल होने पर कंपनी जिम्मेदार नही कोई मुआवजा देने के लिए बाध्य नही. 8 घन्टे की जगह 12 घन्टे काम करना होगा, बड़े हुए 4 घन्टे का कोई ओवर टाइम वेतन नही. मालिक जब चाहे बिना नोटिस के मजदूर को निकाल सकता है !
श्रम कानून खत्म होने से सिर्फ मजदुर नही, बड़ी कंपनियों में काम करने वाले वाइट कॉलर एम्प्लॉई भी प्रभावित होंगे. उन्हें भी अब 12 घन्टे बिना ओवर टाइम भुगतान के काम करना होगा !
काफी संघर्ष करने के बाद अधिकार मिलते हैं. अधिकार सुरक्षा कवच का काम करते हैं. मुट्ठी भर ब्राह्मण नेता जिनके बाप दादाओं कभी श्रम किया नही उन्हें श्रम कानून को खत्म करने का अधिकार नही है !
श्रम कानून मौलिक अधिकार है, किसी भी अधिकार को खत्म करना संविधान का उल्लंघन है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो ब्राह्मण जज कहेगा सरकार को श्रम कानून खत्म करने का अधिकार है और श्रम कानून में मिले अधिकार मौलिक अधिकार नही हैं !
ब्राह्मण सरकार उद्योगपतियों पर कोई बोझ नही डालना चाहती, 68,000 करोड़ तो चोरों का माफ़ कर दिया. 10 लाख करोड़ क़र्ज़ बाकी है, वसूलने के लिए 56इंच सीना नही है !
SC ST एक्ट, आरक्षण और श्रम कानून खत्म कर बहुसंख्यक आबादी को गुलाम बनाना चाहते हैं, इसी को ब्राह्मण रामराज कहते हैं. लेकिन 85% आबादी समझे तब न !
जब तक सब लूट जाएगा तब तक बहुत देर हो जाएगी !