भोपाल - लगता है मप्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मंशाओं के अनुरूप "आपदा में ही अवसर" खोज रही है यह समझ से परे है कि अब कोरोना संक्रमितों को वे अस्पताल जहां वे भर्ती हैंएवे डिस्चार्ज टिकट जारी नहीं करेंगेए इसे डट ही जारी करेंगेएउनके नंबर्स भी सार्वजनिक नहीं होंगे ऐसा क्यों प्रमुख सचिवएलोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने 15 मईए 2020 को एक पत्र क्रमांक.आई. डी.एस.पी./20200402 जारी कियाएजिसमें कहा गया कि कोविड-19 संदिग्ध/पॉजिटिव व्यक्तियों व साधारण रोगियों को 21 निर्धारित लक्षणों में से कोई भी लक्षण उत्पन्न होने पर तत्काल उन्हें डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में रेफर किया जाना सुनिश्चित किया जाये ! इस निर्णय के विरोध में स्वर उठने पर इन्हीं प्रमुख सचिव महोदय ने 18 मईए2020 को ही एक अन्य आदेश क्रमांक आई.डी.एस.पी./20202412 के तहत तत्काल प्रभाव से पूर्व आदेश को पुनर्विचारोपरांत वापस ले लिया गया! इसके नैपथ्य में कौन सी (ई) मानदार मंशा/साज़िश छुपी हुई थी सरकार ने "आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश" अभियान व "लोकल के लिए वोकल" की तर्ज पर ग्लोबल टेंडरों पर रोक लगाने का भी निर्णय लिया हैए यानी अब स्थानीय स्तर पर ही टेंडर आमंत्रित होंगेए यह निर्णय किसके माध्यम सेएकिसे लाभ पहुंचाएगाधराष्ट्रीय स्तर पर निविदाएं आमंत्रित करने का तथ्य स्पष्ट क्यों नहीं हैड्रग एवं मेडिकल कॉर्पोरेशन की इसमें भूमिका क्या होगी कॉर्पोरेशन की इसमें भूमिका क्या होगी इसी के साथ स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य कोई भी विभाग अब ऐसा कोई उपकरण नहीं खरीद सकेगेएजिसकी आपूर्ति विदेश से होती है।
प्रश्न उठना भी स्वाभाविक है कि कोरोना संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग को अन्य उपकरण खरीदने की आवश्यकता ही क्यों ह जब जिला प्रशासन ने लगभग सभी निजी हॉस्पिटलों को ही रेडएग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के इलाज हेतु अधिग्रहित किया हुआ है। ___यही नहीं यह भी स्पष्ट होना जरूरी है कि क्या 15 सालों पूर्व विभिन्न टेंडरों के माध्यम से जो खरीदी हुई थीएक्या उसे अब "राइट ऑफ" किया जाएगा यह अनुत्तरित यक्ष प्रश्न इस बात का संकेत दे रहे हैं कि "" आत्मनिर्भर प्रदेश होगा या कोई और ""... यहां यह