मदर्स डे पर अपनी माता के चरणों में नमन करते हुए अपने भावों की अभिव्यक्ति---
मां
मुठ्ठी में नमक ले के मेरे सर पे वार देती थी ..
*माँ* मेरा बुखार बचपन मे कुछ इस तरह उतार देती थी l
बुरा दौर भी मेरा कुछ न बिगाड़ सका
हाथ की रेखाएं दुआओं से सवार देती है...
बरगद की छांव सी ठंडक मिला करती है
अपना आंचल मेरे सर पे पसार देती है..!
फिर कभी न मांगी वापस ज़िन्दगी में ,
मेरी बचपन में जो दौलत उधार देती थी..!
पिता की ज्यादा लाड न लगाने की नसीहत,
मेरी माँ मौके पे ही नकार देती थी
सब बहन - भाइयों को एक सा देखती है,
पर मुझ छोटे को कुछ ज्यादा प्यार देती है..
बड़े बड़े ग्रंथों से भी वो सिख कभी न मिल पाती,
अपने किरदार से वो बचपन से जो संस्कार देती थी..!
पल भर में भूल जाता था मैं उसकी मार को
सर पे हाथ फेर जब पुचकार देती थी
बड़ा होकर भी मैं , फिर बच्चा बन जाता हु
*बेटा* कह कर प्यार से जब पुकार देती है..l
सं साक्षी सोनी जोबट