विचारों को वश में रखिये
"वो तुम्हारें शब्द बनेंगे"
शब्दों को वश में रखिये
"वो तुम्हारें कर्म बनेंगे"
कर्मों को वश में रखिये
"वो तुम्हारी आदत बनेंगे"
आदतों को वश में रखिये
"वो तुम्हारा चरित्र बनेगा"
चरित्र को वश में रखिये
"वो तुम्हारा भाग्य बनेंगे।"
।। जय सियाराम ।।
।। शत्रु अंजान हैं घर में ही रहे और स्वस्थ एवं सुरक्षित रहें ।।