दुनिया भर में कुछ बैज बेचे जा रहे हैं और दावा किया जा रहा है कि ये कोरोना वायरस संक्रमण से सुरक्षा देंगे. इन्हें ‘वायरस ब्लॉकर' बैज कहा जा रहा है. रूस के बाजारों में ऐसे बैज धड़ल्ले से बिकते देखे गए हैं. इनमें से कुछ पर सफ़ेद क्रॉस के निशान बने हुए हैं. इनकी ये कहकर मार्केटिंग की गई कि ये कोरोना वायरस को रोक देंगे. यहां तक कि हाल ही में ड प्रांत में हुई एक बैठक में कुछ रूसी सांसद भी ये बैज पहने देखे गए. नॉटिंगघम यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और बायोकेमिस्ट डॉक्टर वेन कार्टर कहते हैं कि ऐसे बैज कोरोना वायरस से कोई सुरक्षा नहीं दे सकते क्योंकि ये मुख्य रूप से “छींक और खांसी के ज़रिए निकलने वाली थक के कणों से फैलता है."
गांजे से कोरोना का इलाज? हज़ारों लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसे लेख शेयर किए हैं जिनमें दावा किया गया है कि गांजे से कोविड19 संक्रमण का इलाज हो सकता है. इनमें से कई लेखों के शीर्षक भ्रामक और गुमराह करने वाले हैं. ये सच है कि कनाडा, इसराइल और ब्रिटेन समेत कई देशों में ये पता लगाने के लिए ट्रायल चल रहा है कि क्या गांजा कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में फायदेमंद हो सकता है. औषधीय गांजे से संक्रमण की अवधि कम करने में मदद मिली है और हो सकता है कि स्टॉर्म' के इलाज में भी मदद मिले. ‘साइटोकाइन स्टॉर्म' कोविड-19 के गंभीर मरीज़ों में देखने को मिलता चीन की सरकारी मीडिया में हाल ही में एक वीडियो आया था जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस की सूचना सबसे पहले चीन में मिली इसका मतलब ये नहीं वायरस वहीं उपजा हो. बाज़ेल यूनिवर्सिटी में मॉलिक्युलर एपिडेमियोलॉजिस्ट (महामारी विशेषज्ञ) डॉक्टर एमा हॉडक्रॉफ़्ट कहती हैं कि यूरोप और अमरीका में मिले कोरोना वायरस के सैंपल से यह स्पष्ट है कि ये चीन में मिले वायरस से ही आया है. लेकिन चीन में इस वायरस के कई बदले हुए रूप भी हैं. मा कहती हैं, “संक्षेप में कहें तो अभी कोई ऐसा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जिससे साबित हो सके कि वायरस चीन की बजाय कहीं और पैदा हआ था."
कोरोना मरीज़ों की ‘सामूहिक हत्या’ का दावा पिछले हफ्ते यमन के सूचना मंत्री मुअम्मर अल-एरयानी ने ट्वीट किया था कि हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में कोविड-19 के मरीज़ों की सामूहिक हत्या की ‘कुछ रिपोर्ट्स' हैं. अब तक ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे यमन में कोरोना वायरस संक्रमित मरीज़ों की ‘सामूहिक हत्या’ के दावे को सच माना जा सके. यमन में गृह युद्ध, बीमारियों और कुपोषण की वजह से अब तक एक लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.